पटना में स्मार्ट मीटर का नया कारनामा, तीन कमरों वाले फ्लैट में आया 6 करोड़ का बिजली बिल

पटना। राजधानी पटना के आशियाना नगर में स्मार्ट बिजली मीटर की गड़बड़ी का ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया। एक तीन कमरों के साधारण फ्लैट के लिए बिजली विभाग ने छह करोड़ से अधिक का बिल भेज दिया। इस घटना ने स्मार्ट मीटर की विश्वसनीयता और बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आशियाना नगर निवासी शिखा कुमारी, जिनके तीन कमरों वाले फ्लैट में सिंगल फेज लाइन और तीन किलोवाट का बिजली लोड है, को नवंबर महीने के लिए 6,23,86,690.87 रुपए का बिजली बिल भेजा गया। यह भारी-भरकम बिल उपभोक्ता को मैसेज के माध्यम से मिला। इसके साथ ही घर की बिजली भी कट गई। बिना बिजली और पानी के परिवार ने भारी मुश्किलों का सामना किया। शिखा कुमारी के फ्लैट में तीन एयर कंडीशनर, तीन पंखे, पांच बल्ब और एक फ्रिज का इस्तेमाल होता है। सामान्य परिस्थितियों में गर्मी के मौसम में उनका मासिक बिजली बिल लगभग पांच हजार रुपए होता है, जबकि ठंड के मौसम में यह घटकर दो हजार रुपए तक आ जाता है। इन आंकड़ों के मुकाबले छह करोड़ का बिल पूरी तरह से असंगत और हैरान करने वाला है। बिजली विभाग के इंजीनियरों के मुताबिक, तीन एयर कंडीशनर, दो पंखे और एक फ्रिज यदि 24 घंटे लगातार पूरे महीने चले, तब भी बिल अधिकतम 20 हजार रुपए तक हो सकता है। यह स्पष्ट करता है कि छह करोड़ का बिल विभागीय गड़बड़ी का नतीजा है। आशियाना विद्युत आपूर्ति डिविजन के कार्यपालक अभियंता नीरज ने बताया कि स्मार्ट मीटर ऑटोमेटिक रीडिंग लेता है, लेकिन कभी-कभी मीटर में रिवर्स रीडिंग के कारण ऐसी त्रुटियां हो जाती हैं। स्मार्ट मीटर को ऊर्जा की खपत का सटीक आकलन और बिलिंग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगाया गया था। लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल स्मार्ट मीटर की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करती हैं, बल्कि उपभोक्ताओं के बीच असुरक्षा का माहौल भी पैदा करती हैं। यह घटना दिखाती है कि तकनीक में सुधार की कितनी आवश्यकता है। शिकायत मिलने के बाद विभाग ने बिजली आपूर्ति को बहाल कर दिया और गलती सुधारने की प्रक्रिया शुरू कर दी। मीटर लगाने वाली कंपनी ईडीएफ को मेल भेजा गया है ताकि समस्या का समाधान जल्द किया जा सके। कार्यपालक अभियंता नीरज ने कहा कि यह एक तकनीकी त्रुटि है, और जल्द ही इसे ठीक कर लिया जाएगा। इस घटना ने उपभोक्ता को मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से परेशान किया। बिजली कटने के कारण घर के लोग पानी और अन्य आवश्यकताओं के लिए परेशान रहे। इस गड़बड़ी ने दिखाया कि उपभोक्ता ऐसी समस्याओं में पूरी तरह से असहाय हो जाते हैं। इस घटना से यह स्पष्ट है कि बिजली विभाग को अपनी तकनीकी प्रणाली की जांच करनी होगी और उसमें सुधार करना होगा। स्मार्ट मीटर से जुड़े डाटा का समय-समय पर ऑडिट होना चाहिए ताकि ऐसी त्रुटियों को रोका जा सके। उपभोक्ताओं को भी बेहतर सेवा देने के लिए विभाग को एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली विकसित करनी चाहिए। पटना में स्मार्ट मीटर गड़बड़ी की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि केवल तकनीकी नवाचार पर्याप्त नहीं हैं। उनकी कार्यप्रणाली की निगरानी और सुधार भी उतना ही महत्वपूर्ण है। बिजली विभाग को उपभोक्ताओं का विश्वास बनाए रखने के लिए त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, इस तरह की गड़बड़ियों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि तकनीक का उपयोग तभी सार्थक है जब वह त्रुटिरहित हो और उपभोक्ताओं की समस्याओं को कम करे, न कि उन्हें बढ़ाए।
