कोर्ट से लालू परिवार को राहत: लैंड फॉर जॉब में लालू, तेजस्वी और तेजप्रताप को जमानत, अगली सुनवाई 25 को

नई दिल्ली/पटना। सोमवार को एक महत्वपूर्ण कानूनी घटनाक्रम में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनके दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को अदालत से बड़ी राहत मिली। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में तीनों को जमानत दे दी है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने लालू परिवार को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी, जिसके बाद अदालत में मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को निर्धारित की गई है। ‘लैंड फॉर जॉब’ मामला रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने से संबंधित है। इस मामले का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने 2004 से 2009 के बीच जब वह देश के रेल मंत्री थे, रेलवे में ग्रुप-डी की नियुक्तियों के बदले जमीनें लीं। मुख्य रूप से यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने पटना के महुआ बाग में जमीन मालिकों को नौकरी देने के वादे पर कम कीमत पर अपनी जमीनें बेचने के लिए मजबूर किया था। यह नियुक्तियाँ पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर के अंतर्गत हुईं। इस घोटाले में लालू यादव और उनके परिवार पर यह आरोप है कि उन्होंने रेलवे में नौकरी देने के बदले जमीन के रूप में अवैध लाभ प्राप्त किया। इस घोटाले में तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, और अन्य कई लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक गतिविधियों का मामला दर्ज किया गया है। आरोप यह भी है कि नौकरी पाने वाले उम्मीदवारों ने या तो अपनी भूमि लालू परिवार के सदस्यों या उनके सहयोगियों के नाम हस्तांतरित कर दी थी। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) दोनों इस मामले की जांच कर रहे हैं, और ईडी ने हाल ही में मामले में पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था, और इस वजह से उन्हें जमानत दी जा रही है। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, और तेज प्रताप यादव को एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है। इसके अलावा, अन्य आरोपियों, जिनमें अखिलेश्वर सिंह, हजारी प्रसाद राय, संजय राय, धर्मेंद्र सिंह और किरण देवी भी शामिल थे, को भी जमानत दी गई। तेज प्रताप यादव इस मामले में पहली बार कोर्ट में पेश हुए थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाया और उसे अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया। ईडी का कहना है कि लालू ने अपने रेल मंत्री के कार्यकाल के दौरान जमीन मालिकों को कम कीमत पर जमीन बेचने के लिए मजबूर किया और बदले में रेलवे में नौकरियाँ दीं। इस मामले में ईडी ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि, अदालत ने फिलहाल इस मामले में आरोपियों को राहत दी है, लेकिन यह मामला अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। 25 अक्टूबर को इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जहां अदालत और जांच एजेंसियों के द्वारा अधिक तथ्यों की समीक्षा की जाएगी। इस कानूनी मामले के बीच, लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। लालू यादव की बेटी मीसा भारती और रोहिणी आचार्य भी अपने पिता के साथ दिल्ली पहुंची थीं, जहां से लालू ने राजनीतिक टिप्पणी करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। लालू ने कहा कि नीतीश कुमार का “दिमाग ठीक नहीं है” और उन्होंने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की जीत का दावा किया। लालू ने कहा कि जिस तरह हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में ‘इंडिया’ गठबंधन जीत रही है, उसी तरह बिहार में भी गठबंधन की जीत सुनिश्चित है। ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार को फिलहाल कोर्ट से राहत मिली है, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी जारी है। आरोप गंभीर हैं और ईडी तथा सीबीआई की जांच अभी भी जारी है। इस मामले में लालू परिवार की जमानत भले ही एक अस्थायी राहत हो, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से यह मामला राजद और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। इस कानूनी लड़ाई का परिणाम लालू परिवार और बिहार की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है, और यह देखना बाकी है कि 25 अक्टूबर को इस मामले में क्या नया मोड़ आता है।
