पटना में तेजस्वी को खाली करना होगा डिप्टी सीएम का सरकारी बंगला, दशहरे के बाद सम्राट चौधरी का होगा आवास

पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री के लिए आवंटित सरकारी बंगले को लेकर हलचल मची हुई है। फिलहाल इस बंगले में पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव रह रहे हैं, लेकिन उन्हें जल्द ही यह बंगला खाली करना होगा। यह सरकारी बंगला पटना के देशरत्न मार्ग पर स्थित है और मौजूदा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को इसे आवंटित किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, सम्राट चौधरी इस बंगले में दशहरे के बाद यानी विजयादशमी के अवसर पर प्रवेश करेंगे। यह बंगला पहले तेजस्वी यादव को महागठबंधन की सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री बनने पर आवंटित किया गया था। उस समय महागठबंधन की सरकार थी और तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे। हालांकि, इस साल जब सत्ता में परिवर्तन हुआ और एनडीए की सरकार बनी, तब से स्थिति बदल गई। एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया गया। इसके बाद अब तेजस्वी यादव को यह बंगला खाली करना पड़ रहा है, क्योंकि वह अब विपक्ष के नेता हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, पटना में पांच, देशरत्न मार्ग स्थित यह बंगला उपमुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रूप में निर्धारित है। हर बार जो भी राज्य का उपमुख्यमंत्री बनता है, उसे यही बंगला आवंटित किया जाता है। चूंकि अब सम्राट चौधरी उपमुख्यमंत्री बने हैं, इसलिए उन्हें यह बंगला आवंटित किया गया है। तेजस्वी यादव अब अपने नए आवास में शिफ्ट होंगे, जो पटना के पोलो रोड पर स्थित है। यह आवास उन्हें पहले ही भवन निर्माण विभाग द्वारा आवंटित किया जा चुका है। वहीं, चूंकि मौजूदा सरकार में दो उपमुख्यमंत्री हैं, इसलिए सम्राट चौधरी को प्राथमिकता के आधार पर देशरत्न मार्ग वाले बंगले का आवंटन किया गया है। यह राजनीतिक प्रक्रिया हर सरकार के परिवर्तन के साथ होती है। सत्ता बदलने के साथ ही सरकारी आवास भी नए मंत्रियों और नेताओं को आवंटित किए जाते हैं। हालांकि, इस मामले में तेजस्वी यादव के विपक्ष में होने के बावजूद उन्हें नया आवास आवंटित कर दिया गया है, और वे अब वहां शिफ्ट होने की तैयारी में हैं। सम्राट चौधरी के इस सरकारी बंगले में प्रवेश के बाद यह बंगला उनकी आधिकारिक गतिविधियों और उपमुख्यमंत्री के तौर पर कार्यों का केंद्र बनेगा। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव अपने नए आवास से बतौर नेता प्रतिपक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे। यह घटना बिहार की राजनीति में एक सामान्य प्रक्रिया है, जहां सत्ता में बदलाव के साथ-साथ नेताओं के आवास भी बदलते रहते हैं।
