यूपीएससी के विज्ञापन पर लालू का बीजेपी पर हमला, बताया नागपुरिया मॉडल, कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग
पटना। यूपीएससी के द्वारा जारी किए गए भर्ती विज्ञापन पर भारी बवाल मचा हुआ है। आरक्षण को लेकर तमाम विपक्षी पार्टी बीजेपी पर हमलावर है इसी कड़ी में रविवार को राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया। अपने सोशल मीडिया हैंडल पर उन्होंने आरक्षण की बातें लिखते हुए केंद्र सरकार को घेरा है। लालू यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस मुद्दे को उठाया और इसे “नागपुरिया मॉडल” करार दिया। उन्होंने इस मॉडल को देश में लागू न होने देने की बात कही है। इससे पहले, लालू यादव के पुत्र और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला था। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान और आरक्षण की मूल भावना के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। तेजस्वी ने इसे घिनौना मजाक करार देते हुए कहा कि यह संविधान और आरक्षण के साथ किया जा रहा अत्याचार है। लालू यादव ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि केंद्र सरकार एससी, एसटी, और ओबीसी के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्विट करते हुए आरोप लगाया कि “बाबा साहेब के संविधान और आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार और उसके सहयोगी दलों ने संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से सिविल सेवा में उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए निजी क्षेत्र से सीधी भर्ती का विज्ञापन जारी किया है। लालू यादव ने आगे कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया में कोई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता है और इसमें संविधान प्रदत्त आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। उन्होंने इसे भाजपा के निजी सेना, यानी “खाकी पेंट वालों,” को सीधे भारत सरकार के महत्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का षड्यंत्र बताया। लालू ने इस मॉडल को “नागपुरिया मॉडल” का नाम दिया और आरोप लगाया कि इस संघी मॉडल के तहत दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। लालू यादव ने अपने बयान में यह भी कहा कि एनडीए सरकार वंचितों के अधिकारों पर डाका डाल रही है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने एससी, एसटी, ओबीसी समुदाय से अपील की कि वे इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं और इसे रोकने के लिए एकजुट हों। इस विवादास्पद विज्ञापन ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है, और यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गर्माएगा। विपक्ष इसे लेकर सड़कों पर उतर सकता है और अदालत में भी इसके खिलाफ लड़ाई लड़ सकता है। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्ष के तीखे हमलों को देखते हुए यह मुद्दा आने वाले समय में और बड़ा हो सकता है। विज्ञापन में की गई इस नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए लालू यादव ने न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने इसे संविधान और आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह देश के सामाजिक ढांचे को कमजोर करने की साजिश है। अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होती है और क्या विपक्ष इस विवाद को और बढ़ाता है।


