भागलपुर में फिर गिरा ब्रिज का पिलर, अगवानी सेतु का पाया गंगा नदी में हुआ ध्वस्त
भागलपुर/पटना। बिहार में पुल गिरने की घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर गंगा नदी पर बन रहे सुल्तानगंज-अगुवानी पुल का एक पिलर ध्वस्त हो गया है। शनिवार की सुबह 7 बजे के करीब निर्माणाधीन फोरलेन पुल की पाया संख्या 9 का सुपर स्ट्रक्चर अचानक गंगा नदी में गिर गया। इस घटना ने एक बार फिर से इस पुल के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह तीसरी बार है जब इस पुल का कोई हिस्सा गिरा है। 1750 करोड़ रुपये की लागत से भागलपुर-अगुवानी पुल का निर्माण किया जा रहा है, जिसे बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना के रूप में देखा जा रहा है। यह पुल 3.160 किलोमीटर लंबा है, और इसका निर्माण कार्य 9 मार्च 2015 को शुरू हुआ था। हालांकि, तब से लेकर अब तक इस पुल के कई हिस्से पहले भी ध्वस्त हो चुके हैं, जिससे इसकी संरचना और गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। पहली बार इस पुल का एक हिस्सा 30 अप्रैल 2022 को गिरा था, जब पिलर संख्या 4 और 6 को जोड़ने वाला 36 सेंगमेंट हवा के तेज झोंके के कारण नदी में समा गया था। इसके बाद, 5 जून 2023 को पिलर संख्या 11, 12 और 13 को जोड़ने वाला सुपर स्ट्रक्चर भी ध्वस्त हो गया था। और अब, 17 अगस्त 2024 को, पिलर संख्या 9 का सुपर स्ट्रक्चर गंगा में समा गया। इन घटनाओं ने पुल निर्माण के काम में हो रही गड़बड़ियों और घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग की ओर इशारा किया है। इस पुल का निर्माण एसपी सिंघला कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है। कंपनी ने पहले दावा किया था कि अगले साल तक इस पुल को चालू कर दिया जाएगा। लेकिन बार-बार पुल के हिस्सों के गिरने से अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह पुल समय पर तैयार हो पाएगा और यदि तैयार हो भी गया तो क्या यह सुरक्षित रहेगा? इस पुल की कई बार होने वाली दुर्घटनाओं ने न केवल इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इस परियोजना की प्रगति और नियोजन पर भी गंभीर चिंता उत्पन्न की है। पुल का गिरना केवल एक निर्माण से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि इससे लोगों की जान-माल की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। इस तरह की घटनाओं से यह साफ हो जाता है कि निर्माण कार्य में या तो गंभीर लापरवाही बरती जा रही है या फिर निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में कोई कमी है। पुल के गिरने से इस महत्वपूर्ण परियोजना की लागत और समय सीमा दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बिहार सरकार की इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए बार-बार आने वाली समस्याओं ने प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह परियोजना न केवल देरी का शिकार हो सकती है, बल्कि इसके निर्माण पर खर्च होने वाली राशि भी बढ़ सकती है। इससे जनता के पैसों का दुरुपयोग होगा और भविष्य में इस तरह के हादसों की संभावनाएं और बढ़ जाएंगी। इस पुल के बार-बार गिरने की घटनाओं के बाद अब जरूरी हो गया है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां इस परियोजना की विस्तृत जांच करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में गुणवत्ता और सुरक्षा से कोई समझौता न हो।


