निर्भया कांड: फांसी से पवन को नहीं मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की एसएलपी

CENTRAL DESK : देश को झकझोर देने वाली बहुचर्चित निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चारों दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता की स्पेशल लीव पेटिशन (एसएलपी) सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में एक फरवरी को लगने वाली फांसी को लेकर रास्ता साफ हो गया है।
सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही तीन जजों की बेंच आर. भानुमती, अशोक भूषण और बोपन्ना के सामने अपना पक्ष रखते हुए दोषी पवन कुमार गुप्ता के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि 16 दिसंबर, 2012 को पवन की उम्र 17 साल एक महीने और 20 दिन थी। साथ ही यह भी तर्क रखा कि जब यह अपराध हुआ तो वह नाबालिग था। इसी के साथ यह भी कहा कि अपराध के समय वह एक किशोर था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस तथ्य की अनदेखी की। बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर दावा किया था कि जिस समय दिल्ली के वसंत विहार में निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात हुई, उस समय पवन कुमार गुप्ता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। यह अलग बात है कि कोर्ट ने निर्भया की याचिका खारिज कर दी थी। पवन की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्भया की मां ने कहा कि यह फांसी की सजा टालने की कोशिश भर है। 1 फरवरी को तिहाड़ जेल में चारों दोषियों पवन कुमार गुप्ता, अक्षय सिंह ठाकुर, विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह को फांसी दी जाएगी।
गौरतलब है कि दोषी पवन कुमार गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाईकोर्ट के 19 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने फर्जी दस्तावेज देने और समन के बावजूद कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के लिए उनके वकील की आलोचना करने के साथ 25000 का जुर्माना भी लगाया था।
