भाजपा के लिए कार्यकर्ता सिर्फ राजनीतिक मोहरे, सिर्फ उपयोग करते हैं नेता : जदयू
पटना। भाजपा को निशाने पर लेते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने शुक्रवार को कहा है कि कल अपने जुलुस के दौरान उपद्रव फैला कर भाजपा ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि हिंसा और उन्माद की राजनीति उनके रग-रग में बसी है। इन्होंने यह भी दिखा दिया कि इनके नेताओं के लिए कार्यकर्ता सिर्फ राजनीतिक मोहरे हैं, जिसका इस्तेमाल सिर्फ सत्ता की सीढियां चढ़ने के लिए किया जाता है। इसीलिए पहले इन्होंने बाहरी तत्वों को मार्च में घुसवा कर पुलिस पर हमला करवाया। मजबूरन पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इस दौरान इनके एक दो नेताओं को छोड़कर कोई भी बड़ा नेता कार्यकर्ताओं के बीच दिखा तक नहीं। यहां तक कि इनके प्रदेश अध्यक्ष सड़क पर बैठे रहें लेकिन कोई बड़ा नेता उनके समर्थन में वहां झाँकने तक नहीं आया। झड़प के दौरान इनके सभी बड़े नेता पीछे एक बड़ी गाडी में सवार हो आपस में हंसी-ठिठोली करते रहे। बाद में जेल ले जाने वाली गाड़ी आने बाद यह लोग आराम से टहलते हुए उसमें बैठ कर निकल गये। वास्तव में भाजपा का विधानसभा मार्च बिहार सरकार की छवि बिगाड़ने के उनके बड़े नेताओं का सोचा-समझा षड्यंत्र था। इनकी मंशा कार्यकर्ताओं को पुलिस से भिड़वा पूरे शहर को अस्त-व्यस्त कर देने की थी। लोग बताते हैं कि भीड़ न जुटने की आशंका को देखते हुए अन्य राज्यों से भी लोगों को बुलाया गया था। उन्होंने ही बैरीकेडिंग तोड़ने और पुलिस पर लाल मिर्च पाउडर फेंक कर उपद्रव की शुरुआत की थी। प्रशासन ने अपने धैर्य सजगता से इनकी साजिशों पर पानी फेर दिया। राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं का जीते जी शोषण तो करती ही हैं, लेकिन उनके मरने के बाद भी वह उनके राजनीतिक इस्तेमाल से बाज नहीं आती है। मार्च के दौरान अपने नेता की हुई मृत्यु पर दुःख प्रकट करने की बजाए, जिस तरह से इनके नेता राजनीति करने लगे उसकी जितनी निंदा की जाए काम होगी। केवल सरकार को बदनाम करने के लिए यह लोग जबरदस्ती उनकी मौत को लाठीचार्ज से जोड़ रहे हैं, जबकि मृतक के साथी खुद इस बात की तस्दीक कर चुके हैं कि लाठीचार्ज के वक्त मृतक वहां मौजूद तक नहीं थे। सीसीटीवी से प्राप्त फुटेज के मुताबिक भी उनकी मृत्यु बीच छज्जूबाग क्षेत्र में ही हुई है, जो घटनास्थल से काफी दूर है। भाजपा ने मृतक नेता के परिजनों को दस लाख रु की सहायता देने की घोषणा जरुर की है, लेकिन इनके इतिहास को देखते हुए इस बात की प्रबल संभावना है कि यह केवल बयानों तक ही सीमित न रह जाए। याद करें कि एक दशक पहले गाँधी मैदान में हुई इनकी रैली में हुए धमाकों के शिकार लोगों को इन्होने इसी तरह सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन हुआ कुछ नहीं। इसीलिए भाजपा मृतक के परिवार को जो भी सहायता देना चाहती है वह सबके सामने दे।


