30 जनवरी को सरस्वती पूजा, ग्रह-गोचरों का बन रहा महासंयोग, नवजात शिशुओं का होगा अक्षरारंभ

पटना। माता सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं। मान्यता है कि जिस छात्र पर मां सरस्वती की कृपा हो उसकी बुद्धि बाकी छात्रों से अलग और बहुत ही प्रखर होती है। ऐसे छात्र को कोई भी विद्या आसानी से प्राप्त हो जाती है। खासतौर पर बसंत पंचमी में दिन यदि कोई छात्र मां सरस्वती की आराधना करे, उनके मंत्र का जाप करें या कोई अन्य उपाय करें तो मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माघ शुक्ल पंचमी गुरुवार 30 जनवरी को विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा होगी। इसी दिन मां सरस्वती का अवतार भी हुआ था। सरस्वती ब्रह्म की शक्ति के रूप में भी जानी जाती हैं।
30 को सरस्वती पूजा पर बना महासंयोग
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष माता सरस्वती की पूजा पर ग्रह-गोचरों का महासंयोग बन रहा है। उन्होंने पंचांगों के हवाले से बताया कि सरस्वती पूजा पर उत्तराभाद्र नक्षत्र, गुरुवार, सिद्धयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और 30 तारीख का महासंयोग बन रहा है। माघ शुक्ल चतुर्थी संयुक्त पंचमी तिथि 29 जनवरी की सुबह बनारसी पंचांग के अनुसार 08:17 बजे से तथा मिथिला पंचांग के तहत प्रात: 08:29 बजे से शुरू होगा, जो गुरुवार 30 जनवरी को 10:27 बजे तक है। पूजन के समय अबूझ मुहूर्त का भी संयोग बना है। माता का पूजन का सबसे शुभ मुहुर्त 30 जनवरी को प्रात: 6.35 बजे से शाम 10:27 बजे तक है। 30 का सूर्योदय पंचमी में हो रहा है, इसीलिए बसंत पंचमी 30 को मनाया जाएगा। उदयातिथि के मान से पूरे दिन भी माता शारदे की पूजा-आराधना की जाएगी।
सरस्वती पूजा से अक्षरारंभ का होगा शुभारंभ
पंडित झा के मुताबिक सरस्वती पूजा पर मंत्र दीक्षा, नवजात शिशुओं का अक्षरारंभ भी किया जाता है। इस तिथि पर माता सरस्वती के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, पुस्तक-लेखनी और वाद्य यंत्र की पूजा अति फलदायी मानी जाती है। श्रद्धालु एक-दूसरे को अबीर-गुलाल भी लगाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही गुप्त नवरात्र का पांचवा पूजा किया जाता है।
गुरुवार दिन व पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से
ज्योतिषी झा ने मान्यताओं के आधार पर बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने पीतांबर धारण करके विद्या की देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पंचमी को किये थे। उन्होंने बताया कि पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान, धन हुए शुभता के कर्क माने जाते हैं। इस ग्रह के प्रभाव से धनागमन, सुख व समृद्धि की प्राप्त होती है क इसीलिए इस दिन श्रद्धालु पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं।
राशि के अनुसार करे मां सरस्वती की आराधना
मेष – सिंदूर, लाल फूल, गुलाबी अबीर अर्पण करें, मंत्र- ॐ वाग्देवी वागीश्वरी नम:
वृष – हरे रंग की कलम, पीला फूल चढ़ाएं, मंत्र- ॐ कौमुदी ज्ञानदायनी नम:
मिथुन – श्वेत रंग की कलम, अपराजिता पुष्प, नारियल अर्पण करें, मंत्र- ॐ मां भुवनेश्वरी सरस्वत्यै नम:
कर्क – लाल कलम, इत्र, अभ्रक चढ़ाएं, मंत्र- ॐ मां चंद्रिका देव्यै नम:
सिंह- पीले रंग की कलम, लाल फूल, अभ्रक अर्पित करें, मंत्र- ॐ मां कमलहास विकासिनि नम:
कन्या- गुड़, अबीर, इत्र अर्पण तथा पुस्तक का दान करें, मंत्र- ॐ मां प्रणवनाद विकासिनि नम:
तुला- नीला कलम, पंचामृत, गुलाबी अबीर, इत्र चढ़ाएं, मंत्र- ॐ मां हंसुवाहिनी नम:
वृश्चिक- सफेद रेशमी वस्त्र, ऋतुफल, गंगाजल अर्पित करें, मंत्र- ॐ शारदे दैव्यै चन्द्रकान्ति नम:
धनु- श्वेत चंदन, अबीर, पीला फूल चढ़ाएं, मंत्र- ॐ जगती वीणावादिनी नम:
मकर- अरवा चावल, दही, पुष्प माला, शहद अर्पण करें, मंत्र- ॐ बुद्धिदात्री सुधामूर्ति नम:
कुंभ- खीर, पीला अबीर, इत्र चढ़ाएं, मंत्र- ॐ ज्ञानप्रकाशिनी ब्रह्मचारिणी नम:
मीन- सफेद वस्त्र, पीला फूल, घी अर्पित करें, मंत्र- ॐ वरदायिनी मां भारती नम:

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