प्रदेश में जल्द खुलेगी 2583 नई राशन दुकानें, जल्द शुरू होगी डीलरशिप की प्रक्रिया, विभाग का पत्र जारी
पटना। बिहार सरकार ने राज्य में बढ़ती आबादी और लगातार बढ़ रही राशनकार्ड धारकों की संख्या को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। इस दिशा में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। विभाग की योजना के तहत राज्यभर में 4942 नई सरकारी राशन दुकानों की डीलरशिप दी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि हर पात्र परिवार को तय मानकों के अनुसार आसानी से सस्ता और गुणवत्तापूर्ण राशन उपलब्ध कराया जा सके।
नई दुकानों की आवश्यकता और सरकारी निर्णय
पिछले कुछ वर्षों में बिहार में राशनकार्ड धारकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। कई इलाकों में एक ही राशन दुकान पर जरूरत से ज्यादा कार्डधारक निर्भर हैं। इसके कारण दुकानों पर लंबी कतारें लगती हैं, लोगों को दूर-दराज से राशन लेने आना पड़ता है और कई बार वितरण में अव्यवस्था की शिकायतें सामने आती हैं। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए सरकार ने नई राशन दुकानों की स्थापना का फैसला लिया है, ताकि वितरण व्यवस्था को संतुलित और जनहितकारी बनाया जा सके।
पहले चरण में 2583 दुकानों के लिए प्रक्रिया शुरू
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने पहले चरण में 2583 नई राशन दुकानों के लिए डीलरशिप की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए विज्ञापन जारी किया गया था, जिसके बाद लोगों की ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। विभाग को इन दुकानों के लिए अब तक 13,794 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इससे यह साफ है कि राशन डीलरशिप को लोग स्वरोजगार के एक अच्छे अवसर के रूप में देख रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार शेष 2359 दुकानों के लिए भी जल्द ही अलग से विज्ञापन जारी किया जाएगा। सभी दुकानों के संचालन में आने के बाद राज्य की पीडीएस व्यवस्था पहले से कहीं अधिक सुदृढ़ हो जाएगी।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में संतुलन पर जोर
सरकारी मानकों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 1350 राशनकार्ड धारकों पर एक राशन दुकान और ग्रामीण क्षेत्रों में 1900 राशनकार्ड धारकों पर एक दुकान होनी चाहिए। लेकिन बिहार के कई जिलों में यह अनुपात काफी बिगड़ चुका है। कहीं एक दुकान पर जरूरत से ज्यादा कार्डधारक हैं, तो कहीं लोगों को कई किलोमीटर दूर जाकर राशन लेना पड़ता है। नई दुकानों के खुलने से यह असंतुलन दूर होगा और लोगों को अपने नजदीकी इलाके में ही राशन मिल सकेगा।
जिलावार नई राशन दुकानों की योजना
नई राशन दुकानों के वितरण में जिलावार जरूरतों को ध्यान में रखा गया है। राजधानी पटना में सबसे ज्यादा 435 नई राशन दुकानों की योजना बनाई गई है। इसके अलावा मुजफ्फरपुर में 356, भागलपुर में 336, पूर्णिया में 320, मधुबनी में 248, रोहतास में 245, पश्चिम चंपारण में 242, गया में 240, सीवान में 229, सीतामढ़ी में 196 और कटिहार में 191 नई दुकानों की स्वीकृति दी गई है। वैशाली, दरभंगा, समस्तीपुर, खगड़िया और किशनगंज सहित अन्य जिलों में भी पीडीएस नेटवर्क के विस्तार की तैयारी की जा रही है।
कुछ जिलों में डीलरशिप प्रक्रिया पूरी
पश्चिम चंपारण जिले में सभी 242 नई राशन दुकानों की रिक्तियां भर दी गई हैं और वहां पीडीएस लाइसेंस भी जारी किए जा चुके हैं। इससे साफ है कि कुछ जिलों में यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। वहीं बांका, बेगूसराय, नालंदा, भोजपुर, अररिया और सारण जैसे जिलों में फिलहाल नई दुकानों की आवश्यकता नहीं पड़ी है, क्योंकि वहां राशनकार्ड और दुकानों का अनुपात संतुलित पाया गया है।
राशनकार्ड सत्यापन अभियान भी होगा तेज
नई राशन दुकानों के साथ-साथ सरकार राशनकार्ड व्यवस्था को भी दुरुस्त करने में जुटी है। भारत सरकार से प्राप्त संदिग्ध राशनकार्डों की सूची के आधार पर 17 दिसंबर से 30 दिसंबर तक विशेष सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान कैंप मोड में राशनकार्डों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा और आधार सीडिंग को शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने का प्रयास होगा। विभाग ने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि अपात्र, फर्जी या संदिग्ध राशनकार्डों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंदों तक ही पहुंचे।
जनहित और रोजगार दोनों को मिलेगा लाभ
नई राशन दुकानों की स्थापना से जहां एक ओर आम लोगों को राशन लेने में सुविधा होगी, वहीं दूसरी ओर यह कदम रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा। हजारों लोगों को डीलरशिप के जरिए स्वरोजगार का मौका मिलेगा। साथ ही, वितरण व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी और भीड़भाड़ की समस्या में कमी आएगी। नई राशन दुकानों की स्थापना और राशनकार्ड सत्यापन अभियान बिहार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल जरूरतमंदों को समय पर और आसानी से राशन मिल सकेगा, बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता और संतुलन भी आएगा। सरकार का यह कदम पीडीएस को अधिक प्रभावी और जनोन्मुखी बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।


