अराजकीय संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन के लिए 219 करोड रुपए जारी, जल्द होगा भुगतान
पटना। बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के अराजकीय संस्कृत विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन भुगतान के लिए 219 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। यह कदम लंबे समय से वेतन के इंतजार में बैठे इन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने खुद इसकी जानकारी सार्वजनिक रूप से दी है।
तुरंत 72 करोड़ की राशि जारी
सम्राट चौधरी ने बताया कि स्वीकृत कुल राशि में से सरकार ने 72 करोड़ 49 लाख 77 हजार रुपये तुरंत जारी कर दिए हैं। यह राशि सीधे संबंधित शिक्षकों और कर्मचारियों के बैंक खातों में भेजी जाएगी, जिससे वेतन वितरण में किसी प्रकार की देरी या गड़बड़ी की संभावना नहीं रहेगी। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शिता के साथ की जाएगी।
केवल स्वीकृत पदों पर कार्यरत कर्मियों को वेतन
सरकार की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वेतन का भुगतान केवल उन्हीं कर्मियों को किया जाएगा जो विधिवत स्वीकृत पदों पर कार्यरत हैं। यानी अगर किसी विद्यालय में स्वीकृत पद की संख्या से अधिक लोग काम कर रहे हैं, तो अतिरिक्त लोगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इससे सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि योग्य और पात्र कर्मचारी ही लाभान्वित हों।
जिला अधिकारियों को निर्देश
राज्य सरकार ने सभी जिलों के कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को निर्देश दिया है कि वे वेतन भुगतान से संबंधित सभी कार्य पारदर्शी ढंग से करें। साथ ही, लेखा-जोखा और उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर उपलब्ध कराएं। इस प्रक्रिया में कोई लापरवाही न हो, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। यह पहल राज्य में जवाबदेही और सुशासन की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।
संस्कृत शिक्षा को मजबूती देने की दिशा में कदम
सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता, समयबद्धता और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। अराजकीय संस्कृत विद्यालयों को मजबूत करना और उनमें काम कर रहे शिक्षकों को नियमित वेतन देना सरकार की नीति का हिस्सा है, जिससे पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाया जा सके।
संस्कृत विद्यालयों की स्थिति
बिहार के विभिन्न जिलों में दर्जनों अराजकीय संस्कृत विद्यालय संचालित हो रहे हैं। ये विद्यालय पारंपरिक भारतीय ज्ञान और भाषा को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनमें कार्यरत शिक्षक और कर्मचारी नियोजित शिक्षकों की तरह ही सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें वेतन संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता रहा है। सरकार द्वारा सहायक अनुदान मद से इन विद्यालयों को समय-समय पर आर्थिक सहायता दी जाती रही है, परंतु इसका भुगतान कई बार देर से होता है। राज्य सरकार का यह कदम संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ उन कर्मचारियों को भी सम्मान देने जैसा है, जो वर्षों से कम संसाधनों के बावजूद निष्ठा से कार्य कर रहे हैं। अब जब वेतन का भुगतान सीधे खातों में किया जाएगा, तो पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में यह एक मजबूत पहल मानी जा सकती है। इसके साथ ही, सरकार की जवाबदेही और शिक्षक समाज के प्रति प्रतिबद्धता भी स्पष्ट रूप से सामने आती है।


