September 21, 2024

विश्व संगीत दिवस : अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में बिहार के पारंपरिक लोकगीतों की रही धूम

पटना/मुंबई। 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तथा विश्व म्यूजिक दिवस के अवसर पर साहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुंबई तथा उत्तर प्रदेश मंडल आॅफ अमेरिका द्वारा एक विशेष वेबिनार का आयोजन गूगल मीट पर किया गया। जिसके प्रथम सत्र में उत्सव मूर्ति योगाचार्य सत्येंद्र सिंह ने भारत सरकार द्वारा निर्धारित योगा प्रोटोकॉल के अनुसार लोगों को योग की जानकारी दी। योग गुरु मीमांसा ओझा ने कहा कि यदि समय कम हो तो प्रतिदिन सूर्य नमस्कार जिसमें 10 प्रकार के योग समाहित हैं, करना चाहिए। योग किसी विशेष धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है। वैश्विक फलक पर राम कथाओं के संकलन से जुड़े साठवें विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने वेबिनार में कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का पूरा जीवन ही योग है। उन्होंने जगत में असत्य पर सत्य, अज्ञानता पर ज्ञान, अहंकार पर संस्कार तथा तिमिरता पर प्रकाश की जीत के लिए पूरा जीवन ही एक योगी की तरह जिया।
संगीत सत्र में बिहार की लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने गणेश वंदना मंगल के दाता भगवान बिगड़ी बनाई जी गौरी के ललना हमरा अंगना में आई जी तथा मेरे घर में पधारो गजानन जी मेरे घर में पधारो गीत से कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए भगवान श्रीराम से जुड़े अनेक लोक गीतों की प्रस्तुति दी, जिसमें चित्रकूट के घाट घाट पर तुलसी जोंहें बाट राम मेरे आ जाओ, राजा जनक जी के बाग में अलबेला रघुवर आयो जी, धन धन नगर अयोध्या के धन राजा दशरथ हो, आज मिथिला नगरिया निहाल सखिया चारो दूल्हा में बड़का कमाल सखिया, मेरा राम की कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम जी भगवन मेरा नाम हो रहा है सहित अनेक पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति की। संगीत सत्र में श्रीलंका की जननी मुडगे और बसंता पद्मिनी, बिहार की डॉ. किरण बाला और आशा तिवारी ओझा ने भी राम जी से जुड़े लोकगीत पेश किए। केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के अध्यक्ष प्रो उमापति दीक्षित ने शिव तांडव स्त्रोत और डॉ महात्मा पांडे ने मंगलाचरण पेश किया । कार्यक्रम में कैलिफोर्निया की नीलू गुप्ता ने भी लोक गीत गाया। केलानिया यूनिवर्सिटी, श्रीलंका के डॉ. डीडी धनंजय बितानगे और कोलंबो विश्वविद्यालय की प्रो. शिरीन कुरैशी ने भी अपने विचार रखे। वेबिनार की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने किया।

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