October 5, 2024

करीब 120 करोड़ के टेंडर हाईकोर्ट ने पटना नगर निगम तथा नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से चार सप्ताह के अंदर मांगा जवाब

>>बगैर आमसभा तथा सशक्त स्थायी समिति में पेश किए किए गए बगैर कर दी गई थी करोड़ो की टेंडर 

>> वार्ड पार्षद श्वेता रंजन समेत 6 पार्षदों ने किया पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल

>> सुनवाई जारी रहने तक पटना उच्च न्यायालय ने निविदाओं पर लगायी रोक 

 

पटना।(बन बिहारी)।पटना उच्च न्यायालय ने पटना नगर निगम के निविदाओं से जुड़ी एक जनहित याचिका श्वेता रंजन बनाम राज्य सरकार की सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव राय के एकल पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम तथा राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव से आगामी 4 सप्ताह के अंदर जवाब दायर करने के लिए कहा है। दरअसल पिछले दिनों पटना नगर निगम के सभी अंचल नूतन राजधानी,कंकड़बाग,पटना सिटी,बांकीपुर,अजीमाबाद तथा पाटलिपुत्र के कार्यपालक अभियंताओं के द्वारा लगभग 120 करोड़ की राशि के निविदाओं को विभिन्न योजनाओं तथा कार्यों को लेकर आमंत्रित किया गया था। उक्त सभी निविदाओं को पटना नगर निगम के आम सभा तथा सशक्त स्थायी समिति की बैठक में पेश किए बगैर सीधे निविदाएं की गई थी। जो एक प्रकार से पटना नगर निगम तथा वार्ड पार्षदों के अधिकारों का हनन था।इसके खिलाफ पटना नगर निगम के वार्ड 21 की पार्षद श्वेता रंजन ने पटना उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी।श्वेता रंजन के अलावे वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू,रजनीकांत,अनीता देवी,सारिका कुमारी तथा ज्ञानवती देवी ने भी इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पटना नगर निगम के नियमों के मुताबिक किसी भी निविदा को आमंत्रित करने से पूर्व वार्ड पार्षदों के बैठक तथा सशक्त स्थायी समिति के बैठक से प्रस्तुत करना होता है।परंतु इस बार नगर निगम के सभी अंचलों में बगैर आमसभा तथा सशक्त स्थायी समिति के समक्ष योजनाओं को प्रस्तुत किए बगैर सीधे निवदाएं आमंत्रित कर दी गई थी।जिसको लेकर वार्ड पार्षदों के भीतर रोष व्याप्त हो गया। इस मामले में वार्ड पार्षद श्वेता रंजन की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार के द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। पटना नगर निगम तथा राज्य सरकार के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को आगामी चार सप्ताह के अंदर इस मामले में अपना जवाबी हल्कानामा तैयार करने के लिए कहा गया है।इतना ही नहीं माननीय उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अवधि के दौरान इस प्रकार की निविदाओं पर रोक लगा दी। माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि इसके बावजूद अगर निविदाएं जारी की जाती है तथा कार्य होते हैं।तो सुनवाई के उपरांत इसका समूल खर्च कार्यपालक अभियंता तथा कार्य करने वाले संवेदक से वसूल की जाएगी।उच्च न्यायालय ने जवाब देने पर विलंब करने की स्थिति में प्रतिदिन 2 हजार फाइन का भी आदेश जारी किया है।

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