वासंतिक नवरात्र : खुला मां दुर्गा का पट, महानवमी 2 को

पटना। वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन मंगलवार को माता के उपासक ने देवी कालरात्रि की पूजा विधि-विधान से कर माता का पट खोला। वहीं श्रद्धालु कल अष्टम दिवस में सर्व सिद्धि को देने वाली माता महागौरी की पूजा करेंगे। जबकि 2 अप्रैल (गुरूवार) को महानवमी में हवन, पुष्पांजलि व कन्या पूजन के साथ नवरात्र को समापन होगा।
महागौरी माता का स्वरूप
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने मार्कण्डेय पुराण के हवाले से बताया कि माता दुर्गा की आठवीं शक्ति देवी महागौरी हैं। इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है। मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन वृष है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। इनका स्वभाव अति शांत है।
दूर होते भय, निराशा व चिंता
ज्योतिषी झा के मुताबिक माता जगदम्बा के आठवें रूप महागौरी की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। इस देवी के स्मरण व पूजन मात्र से श्रद्धालुओं को व्यापार, दांपत्य जीवन, सुख-समृद्धि, धन आदि में वृद्धि होती है। ऐसे लोग जो अभिनय, गायन, नृत्य आदि के क्षेत्र में हैं उन्हें देवी की पूजा से विशेष सफलता मिलती है। यह माना जाता है कि उनकी पूजा से त्वचा संबंधी रोगों का भी निवारण होता है।
देवी के पूजा का आध्यात्मिक महत्व
चैत्र नवरात्रि के अष्टम दिवस में देवी महागौरी की पूजा करने से सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं। जिससे मन और शरीर शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है। देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है। इनकी पूजा से अपवित्र व अनैतिक विचार भी नष्ट होते हैं। जगत जननी के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है। जिससे सकारात्मक ऊर्जा, एकाग्रता में वृद्धि तथा सर्व कष्ट से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा से शीघ्र विवाह का वरदान तथा वैवाहिक जीवन भी मधुर हो जाता है। मान्यता है कि माता सीता ने भगवान श्रीराम की प्राप्ति के लिए इसी देवी की आराधना की थी क ज्योतिष शास्त्र में इनका संबंध शुक्र नामक ग्रह से माना गया है।

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