भारतीय पुनर्वास परिषद डिप्लोमा प्रथम वर्ष के छात्रों को देगी सीधे प्रोन्नति : सचिव

फुलवारी शरीफ। भारतीय पुनर्वास परिषद ने कोरोना आपदा को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया है कि देश भर में विभिन्न स्वीकृत संस्थानों द्वारा पुनर्वास-विज्ञान में चलाए जा रहे डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को, विना परीक्षा के द्वितीय वर्ष में प्रोन्नत कर दिया जाएगा। शीघ्र ही आनलाइन परीक्षा भी संपन्न होगी, जिसमें द्वितीय वर्ष के छात्र भाग लेंगे, जिसके परिणाम के आधार पर वे डिप्लोमा उत्तीर्ण होंगे। परिषद के सभी काम, जिनमें प्रशिक्षण प्रदान करने वाले संस्थानों के निरीक्षण और स्वीकृति भी सम्मिलित है, पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड और पारदर्शी किया जा रहा है। निरीक्षण से संबंधित सभी सामग्री, जिसका विडियोग्राफी भी किया जाएगा, सभी संबद्ध के लिए खुली होगी। वे इसे वेबसाइट पर देख सकेंगे। पूरी प्रक्रिया सबकी दृष्टि में होगी। यह बातें गुरुवार को भारतीय पुनर्वास परिषद की स्वीकृति से इंडियन इंस्टिच्यूट आफ हेल्थ एडुकेशन एंड रिसर्च, बेउर में आयोजित तीन दिवसीय सीआरई राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अपना व्याख्यान देते हुए परिषद के सदस्य-सचिव डॉ. सुबोध कुमार ने कही।
दिल्ली स्थित परिषद के अपने कक्ष से गुगल-मीट के माध्यम से लाइव जुड़े डॉ. कुमार ने कहा कि कोरोना आपदा ने हमें बहुत कष्ट पहुंचाया है तो वहीं अनेक शिक्षाएं भी दी है और ज्ञान-विज्ञान के नए मार्ग भी खोले हैं। आनलाइन व्याख्यान के नए और प्रभावशाली विकल्प भी हमें मिला है। उन्होंने कहा कि भारतीय पुनर्वास परिषद शीघ्र ही ‘मेंटल हेल्थ’ पर एक ‘शॉर्ट-टर्म कोर्स’ आरंभ करने जा रही है। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति पाठ्यक्रम तैयार करेगी। इस तरह के सीआरई प्रशिक्षण के प्रतिभागियों को भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तत्काल बाद एक आॅनलाइन परीक्षा से गुजरना होगा और 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करनेवाले प्रतिभागियों को ही, सीआरई के अंक प्राप्त होंगे, जो पंजीयन के दीर्घीकरण के लिए आवश्यक हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रमुख डॉ. अनिल सुलभ ने परिषद के सचिव का पटल पर अभिनंदन किया तथा सभी एक सौ प्रतिभागी विशेषज्ञों एवं संसाधन शिक्षकों के प्रति भी आभार प्रकट किया। वेबिनार के प्रथम दिन डॉ. नीरज कुमार वेदपुरिया, डॉ. ऋचा प्रियंवदा (भोपाल), डॉ. नगमा जामीर (लखनऊ), डॉ. टी कुमार ( रांची), डॉ. मुक्ता मृणालिनी, डॉ. प्रणय कुमार गुप्ता तथा प्रो. कपिल मुनि दूबे ने अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए।

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