बिहार विधानमंडल में 5 विधेयक पास : अंग्रेजों का बनाया सिविल कोर्ट एक्ट खत्म, अब बिहार का अपना सिविल एक्ट, ‘का करूं सिंगार जब पिया मोरा आंधर’

* विधानसभा से बिहार सिविल न्यायालय अधिनियम विधेयक पारित
* बिहार लोकायुक्त (संशोधन) और बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक भी विधानसभा से पास


पटना। बिहार विधानमंडल के बजट सत्र का गुरूवार को 19वां दिन था। सत्र की शुरूआत हंगामे से हुई। किसान बिल के विरोध में वाम दल के विधायकों ने प्रदर्शन किया। वहीं राजद विधायकों ने पेट्रोल-डीजल के बढ़ते मूल्य को लेकर विरोध तेज कर दिया। राजद ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की। सदन में फसल क्षति के आकलन के लिए मौसम आधारित संयंत्र लगाने में गड़बड़ी का मामला राजद विधायक प्रेमशंकर प्रसाद ने सदन में उठाया, जिसके बाद वाम दल वेल पहुंच गए, साथ में कांग्रेस के भी विधायक थे। करगहर विधायक संतोष मिश्रा के भतीजे की हत्या मामले पर भी विधानसभा में विपक्ष ने हंगामा किया।
वहीं हंगामे के बीच गुरुवार को विधानसभा में कुल 5 संशोधन विधेयक भी पास हुए। बिहार लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2021, बिहार कराधन विवादों का समाधान विधेयक 2021, बिहार विनियोग अधिकाई व्यय (1984-85) विधेयक 2021, बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2021 और बिहार सिविल न्यायालय विधेयक 2021। उधर, विधान परिषद् में वित्त विनियोग विधेयक भी ध्वनि मत से पारित हो गया।
सीएम नीतीश को बधाई दी
बिहार सिविल न्यायालय विधेयक 2021 के सदन से पास होने पर बिजेन्द्र यादव ने सीएम नीतीश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। आज से पहले अंग्रेजों का बनाया हुआ सिविल कोर्ट एक्ट चल रहा था, लेकिन आज बिहार सिविल न्यायालय अधिनियम विधेयक सदन में ध्वनि मत से पास हुआ। अब बिहार का अपना सिविल एक्ट हो गया है।
श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की केंद्र से सिफारिश करेगी सरकार
परिषद् में भाजपा के सचिदानंद राय ने बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि बिहार सरकार जल्द ही केंद्र सरकार को इसका प्रस्ताव भेजेगी। वहीं दिलीप जायसवाल ने कहा कि लालू प्रसाद जब लौटकर आएंगे तो हम उन्हें दिखाएंगे पटना में कितना विकास हुआ है। कितने पुल बन गए हैं। यह देखकर लालू प्रसाद जरूर खुश होंगे।
‘का करूं सिंगार जब पिया मोरा आंधर’
विधानसभा में भाजपा विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य में वृद्ध, विधवा एवं दिव्यांग के लिए 400 रुपये सहायता राशि दी जाती है जो बहुत कम है। दिव्यांगों के लिए दिल्ली में 2500, हरियाणा में 3000, गोवा में 3000 की सहायता राशि दी जा रही है। अत: वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन एवं दिव्यांग सहायता राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर हरियाणा के अनुरूप 3000 रुपये सरकार करे। इस पर समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि राज्य सरकार 95 लाख लोगों को सहायता राशि देती है। पेंशन या दूसरी सहायता राशि अन्य प्रदेशों की तुलना में बिहार सरकार नहीं दे सकती। बिहार सरकार अकेले 70% खर्च वहन करती है। मंत्री के इस जवाब पर राघवेंद्र प्रताप सिंह ने आपत्ति जताई। कहा कि यह तो ‘हसुवा के बियाह में खुरपी के गीत’ जैसा है, मुझे शर्म आती है। ‘सइयां भये कोतवाल तो डर काहे का’। मंत्री के जवाब पर तो हजूर अब यही कहना पड़ेगा कि ‘का करूं सिंगार जब पिया मोरा आंधर’।

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