December 5, 2025

बिहार में कोरोना जांच में फर्जीवाड़े पर सियासी उबाल, विपक्ष ने सीएम नीतीश को घेरा

पटना। बिहार में कोरोना जांच में कुछ जिलों में हुए फर्जीवाड़े को लेकर विपक्षी नेताओं ने नीतीश सरकार के खिलाफ जोरदार हमला बोलते हुए आइएएस आफिसर व स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को बर्खास्त करने और उनकी संपत्ति की जांच की मांग की है। साथ ही कोविड के लिए दवा, पीपीई आदि खरीद संबंधी पूरे मामले की जांच की मांग भी उठाई है। बता दें कि बिहार के जमुई जिला में कोरोना वायरस टेस्ट रिपोर्ट के आंकड़े में बड़े पैमाने पर फर्जी नाम, पता और मोबाइल नंबर दिए गए हैं। जमुई के सिविल सर्जन सहित सात अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। शुक्रवार को मामले की गूंज राज्यसभा में भी उठी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।
कांग्रेस बोली, कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़ा चिंताजनक
कोरोना टेस्ट में फर्जीवाड़े को कांग्रेस ने चिंताजनक बताया और कहा कि इस मामले को वह सदन में उठाएगी। कांग्रेस विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने मांग की कि फर्जीवाड़े की जांच होनी चाहिए। कहा कि आरंभ से ही हमलोग कहते रहे हैं कि कोविड जांच धीमी है तथा इसमें गड़बड़ी हो रही है। तभी विभाग के प्रधान सचिव के तौर पर प्रत्यय अमृत के पदभार ग्रहण करते ही चमत्कारिक रूप से एकाएक एक लाख से अधिक मरीजों का टेस्ट शुरू हो गए। डबल इंजन की सरकार में किस स्तर का घालमेल और फर्जीवाड़ा चल रहा है, यह बात सामने हैं।
जाप बोली, बर्खास्त किए जाएं प्रधान सचिव
वहीं जन अधिकार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह कुशवाहा ने इस मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को पत्र लिख कर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत को अविलंब बर्खास्त करते हुए प्रवर्तन निदेशालय से प्रत्यय अमृत की चल और अचल संपत्ति की जांच की मांग की है। कहा है कि कोविड-19 हेतु मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट, इलाज मदों में भारी आर्थिक अनियमितता की गई है। काली सूची में दर्ज कंपनियों से घटिया सामग्री को महंगे दाम पर खरीदा गया। फर्जी मरीज के डाटा पर जांच और इलाज करने के नाम पर अरबों रुपए के घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर वे हाईकोर्ट में पीआइएल भी दर्ज कराएंगे।

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