November 21, 2025

निर्भया केस : दोषियों को फांसी देने के एवज में पवन जल्लाद को मिला इतना रूपये

CENTRAL DESK : देश की बहुचर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के चारों दोषियों को शुक्रवार की तड़के 5.30 बजे फांसी पर लटका दिया गया। दोषियों की हुई फांसी के बाद चार परिवारों में मातम का माहौल है। वहीं इनको फांसी पर लटकाने वाला जल्लाद पवन खुश है। अब वे इनको फांसी दिए जाने के एवज में मिले पैसे से अपनी बेटी की शादी करेंगे। जानकारी के मुताबिक तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से पवन जल्लाद को चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 60,000 रुपये का भुगतान किया गया। पवन जल्लाद को हर एक दोषी को फांसी देने के लिए 15,000 रुपये दिए गए। इन चारों को फांसी पर लटका दिए जाने के बाद पवन जल्लाद को कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल से मेरठ वापस भेज दिया गया।
बताते चले जब 22 जनवरी की सुबह 7 बजे इन चारों को फांसी पर लटकाने का फरमान अदालत ने सुनाया था तो पवन बहुत खुश हुए थे। ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हुए उन्होंने कहा था कि इस काम के एवज में अब उन्हें कुछ पैसे मिल जाएंगे और वो अपनी नैतिक जिम्मेदारी का पालन कर पाएंगे। बेटियों की शादी हो सकेगी और कुछ कर्ज भी उतर जाएगा। पवन ने कहा था कि ऐसा पहली बार होगा जब वो एक साथ 4 लोगों को फांसी देंगे और उनको इसके एवज में एक लाख रुपए की मोटी रकम मिलेगी। इतने पैसे भी वो पहली बार देखेंगे। उन्होंने कहा था कि मेहनताने से हासिल होने वाली इस रकम से वो अपनी बेटी की शादी करेंगे। 57 साल के पवन जल्लाद ने कहा था कि उन्होंने अब तक के जीवन में न तो एक साथ इतने लोगों को फांसी दी, न ही एक साथ फांसी के बदले उनको इतनी बड़ी रकम ही मिली है।
बता दें पवन जल्लाद के परिवार में कुल 7 सदस्य हैं। इनमें 5 बेटियां और 2 बेटे हैं। इनमें तीन बेटियों की शादी कर चुके हैं मगर बाकी का खर्च वो ही उठा रहे हैं। उनका कहना है कि कमाई का और कोई जरिया नहीं है, यदि एक साथ इन चारों को फांसी दे पाएंगे तो ठीक-ठाक पैसे मिल जाएंगे, उससे कई सारे काम निपट जाएंगे। पवन ने बताया कि फांसी देने पर जो पैसे मिलेंगे वो इनसे बेटी की शादी करेगा। कुछ और जरूरत हुई तो बाकी पैसे उधार लेने पड़ेंगे। पवन का परिवार पुश्तैनी जल्लाद है। उनके परदादा लक्ष्मन जल्लाद थे, दादा कालू राम उर्फ कल्लू और पिता मम्मू भी पुश्तैनी जल्लाद थे। उनके दादा ने रंगा-बिल्ला से लेकर इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह, केहर सिंह को इसी तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया था, मगर उस समय बहुत अधिक पैसे नहीं मिला करते थे।

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