दिल्ली के किसान ने अपने श्रमिकों को विमान से भेजा बिहार, हमेशा याद रहेगा यह अनुभव
CENTRAL DESK : बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले 10 प्रवासी श्रमिक को दिल्ली के एक किसान ने उनके गृह राज्य बिहार विमान से भेजने की व्यवस्था की और वे सभी श्रमिक पहली बार विमान में सवार हुए। विमान में बैठने के पूर्व उन श्रमिकों के दिमाग में कई प्रश्न उमड़-घुमड़ रहे थे और जब वे अपने गृह राज्य की धरती पटना में कदम रखे तो उन्हें खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ये श्रमिक लॉकडाउन के कारण दिल्ली में फंस गए थे।
पहली बार विमान में बैठने वाले इन श्रमिकों में शामिल नवीन राम ने पटना पहुंचने के बाद कहा कि हवाईअड्डे की औपचारिकताओं को देखकर डर लग रहा था, लेकिन उन्होंने एक अधिकारी की मदद मांगी, जिसने उन्हें विमान तक पहुंचाया। नवीन ने कहा कि उत्साहित और डरे हुए प्रवासी श्रमिक जब सीटों पर बैठे और विमान ने उड़ान भरी तो कुछ ने तो डर के कारण अपनी आंखें बंद कर लीं। समस्तीपुर के रहने वाले ये श्रमिक कभी सपने में नहीं सोचा था कि उन्हें विमान में बैठने का मौका मिलेगा, लेकिन दिल्ली में मशरूम की खेती करने वाले उनके नियोक्ता पप्पन सिंह ने इन श्रमिकों के लिए टिकटों का प्रबंध किया। नवीन ने आगे बताया कि उन्हें यह अनुभव हमेशा याद रहेगा। उसने कहा कि जब हम जूट के थैले लिए और चप्पल पहने हवाईअड्डे पर पहुंचे तो लोग हमारे तरफ ही देख रहे थे। हमने उनकी तरह अच्छे कपड़े नहीं पहने थे। हमें नहीं पता था कि हमें हवाईअड्डा पहुंचने के बाद क्या करना है क्योंकि हम पहले कभी विमान में नहीं बैठे। हमने वहां एक अधिकारी की मदद ली। इस समूह में शामिल एक अन्य प्रवासी श्रमिक जितेंद्र राम ने बताया कि जब वे दिल्ली से सुबह छह बजे की उड़ान से पटना हवाईअड्डा पहुंचे तो कई मीडियाकर्मी उनसे बात करने के लिए इंतजार कर रहे थे। जितेंद्र ने कहा, हमने कभी नहीं सोचा था कि हम खबरों में आएंगे। मेरे दोस्त ने मुझे फोन किया और बताया कि वह मुझे समाचार चैनल पर देख रहा है। हम इस शानदार अनुभव को हमेशा याद रखेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वे लॉकडाउन समाप्त होने के बाद दिल्ली आएंगे, नवीन ने कहा, निश्चित ही जब हमारे मालिक (नियोक्ता) हमें बुलाएंगे, हम दिल्ली आएंगे।
नियोक्ता पप्पन सिंह ने समाचार एजेंसी से कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि वे अंतत: अपने गृह राज्य पहुंच गए। पप्पन ने कहा, श्रमिकों के लिए 68,000 रुपये के टिकट बुक कराए और उन्हें तीन-तीन हजार रुपए दिए ताकि उन्हें घर पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हो। पप्पन ने बताया कि उसने श्रमिकों को श्रमिक विशेष ट्रेन से भी घर भेजने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया। उसने कहा, मैं अपने कर्मियों को हजारों मील पैदल जाने की अनुमति देने का खतरा नहीं उठा सकता था। इससे उनके जीवन को खतरा होता। हमने कई खबरें सुनी हैं कि घर लौट रहे कई प्रवासी श्रमिक इन दिनों सड़क हादसों का शिकार हो रहे हैं। पप्पन सिंह ने बताया कि हवाईअड्डा पहुंचाने से लेकर हवाई जहाज में सवार होने तक हर कदम पर वह लगातार फोन के जरिए उनके संपर्क में रहे।


