BIHAR : खुद की अपहरण की झूठी साजिश रच परिजनों से मांगी फिरौती, फिर जाने कैसे आया गिरफ्त में

कैमूर (भभुआ)। बिहार के कैमूर जिला के भभुआ वार्ड नंबर 03 से विनय कुमार, पिता बालेश्वर प्रसाद से सूचना मिली कि उनका भाई विवेक कुमार उर्फ मुरारी उम्र 40 वर्ष जो चावल खरीद बिक्री का काम करता है बीते 19 नवंबर को दोपहर 2 बजे मोटरसाइकिल से किसी काम से घर से निकला एवं 4 बजे घर आया एवं 6 बजे घर से पैदल निकला और देर रात तक घर वापस नहीं आया। उसके मोबाइल पर फोन करने पर मोबाइल स्विच आफ पाया गया। दूसरे दिन उक्त मोबाइल से उनके घर के मोबाइल नंबर पर फोन कोई अज्ञात व्यक्ति ने किया कि तुम्हारा भाई मेरे कब्जे में है, ढ़ाई लाख रुपया पहुंचा दो, नहीं तो छड़ेंगे नहीं। पुलिस को सूचना दोगे तो भाई को जान से मार देंगे। इसके बाद तत्काल इसकी प्राथमिकी भभुआ थाने में दर्ज कराई गई और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, भभुआ थानाअध्यक्ष, डीआईयू प्रभारी संतोष कुमार वर्मा तथा कांड के अनुसंधानकर्ता रणवीर कुमार के साथ कांड के उद्भेदन के लिए एक टीम बनाई गई। इसके बाद लगातार अपहृत के मोबाइल से बीच-बीच में कभी-कभी फिरौती का फोन आता रहा और बार-बार धमकी दी जा रही थी कि अगर पुलिस को सूचना दिया तो भाई की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद बड़े ही गोपनीय तरीके से पुलिस इस कांड का अनुसंधान करती रही और रविवार को बैंक बंद होने का बहाना बनाकर एक दिन का समय अपहर्ताओं से लिया गया। इसी बीच सोमवार के दिन अपहरणकर्ताओं के द्वारा धमकी दी गई कि अगर आज शाम तक पैसा नहीं मिला तो हत्या कर देंगे। जिससे परिवार वाले काफी डरे हुए थे और पुलिस से बचकर फिरौती देने को तैयार हो गए। इसी बीच अपहर्ता द्वारा फिरौती की रकम को लेकर कुदरा बुलाया गया। पुलिस भी वादी के पीछे-पीछे पहुंच गई। वादी पुलिस को देखकर कहने लगे कि कृपा आप लोग बीच में ना आए।
इसी बीच खुदरा करहगहर रोड पर मुंह बांध मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्ति आये और फिरौती की रकम लेकर चलते बने। पुलिस चाह कर भी वादी के पक्ष के दबाव में तत्काल उन्हें नहीं पकड़ पाई। उसके बाद पुलिस अपने स्तर से लगातार अपहरणकर्ताओं का पीछा करती रही। इस दौरान पूर्णवादी द्वारा पुलिस को बताया गया कि उधर से अपहरणकर्ता फोन कर रहे हैं कि पुलिस पीछा कर रही है हम तुम्हारे भाई को मार देंगे। 2 घंटे तक पुलिस और अपराधियों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा, जब अपराधी लौट कर नहीं आया तब घर वाले भी परेशान होने लगे। अंत में अपहरणकर्ता को पकड़ने का आदेश दिया गया और तेजी से उनका पीछा किया जाने लगा। अकोड़ गांव के पास पुलिस की गाड़ी खराब हो गई तब एक मैजिक गाड़ी से पुलिस के द्वारा पीछा कर दोनों अपहरणकर्ताओं को नोखा बड़ाओ नहर के पास पकड़ा गया और उनके पास से फिरौती की रकम दो लाख रुपए और फिरौती मांगे जाने वाली मोबाइल और मोटरसाइकिल बरामद की गई। जब उसमें से दोनों की पहचान की गई तो उसमें से एक व्यक्ति अपहृत विवेक कुमार ही निकला। उसके द्वारा पहले पुलिस के समक्ष कहानी बताई गई कि भभुआ जयप्रकाश चौक से एक बोलोरो द्वारा आये और जबरन आंख बंद कर उठाकर बनारस ले गए, वहां से फिर रोहतास ले गए फिर मुझे पता नहीं कहां ले गए फिर यही जो व्यक्ति मेरे साथ है वहीं पैसा मांग रहे थे। उसके बाद पुलिस सख्ती से पेश आयी तो विवेक ने अपना दोष स्वीकार किया और बताया कि हम चावल के व्यवसाय करते हैं। लॉकडाउन के कारण व्यवसाय मंदा हो गया था, जिसके कारण काफी कर्ज हो गया था। घरवाले पैसा नहीं दे रहे थे, तब खुद ही अपने दोस्त शंभू शरण पांडे के साथ मिलकर अपने अपहरण का नाटक रचा।
बहरहाल, अपने ही अपहरण के झूठे नाटक करने, फिरौती की रकम मांगने एवं उसके साथ पकड़े जाने के आरोप में अपहरणकर्ता और उसके सहयोगी को जेल भेजा जा रहा है और इस कांड का उद्भेदन करनेवाले पुलिसकर्मियों को भी पुस्कृत किया जाएगा।

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