September 17, 2025

कृषि मंत्री बोले, बैंकों को अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए करना होगा अधिक प्रयास

नाबार्ड ने बिहार के लिए 1,43,618 करोड़ की ऋण क्षमता का किया आंकलन


पटना। राज्य में कृषि क्षेत्र के सम्यक विकास हेतु नाबार्ड द्वारा राज्य फोकस पेपर में सुझाए गए पहलों पर ध्यान देने और इस क्षेत्र में अधिकाधिक ऋण प्रवाह करने की आवश्यकता है। बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को पटना में नाबार्ड द्वारा आयोजित राज्य क्रेडिट सेमिनार को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होनें कहा कि एसएलबीसी के नेतृत्व में बैंकों को अपने प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए अधिक प्रयास करना होगा। कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार में उपलब्ध पूर्ण ऋण क्षमता का दोहन करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना होगा। सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद कृषि मंत्री ने नाबार्ड द्वारा तैयार राज्य के फोकस पेपर 2021-22 का लोकार्पण किया। मौके पर देवेश सेहरा, आईएएस, सचिव-वित्त, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक देवेश लाल तथा नाबार्ड के मुख्य प्रबंधक डॉ. सुनील कुमार भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
सेमिनार के दौरान नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. सुनील कुमार ने राज्य फोकस पेपर की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें राज्य के सभी 38 जिलों के लिए मूल्यांकन किए गए ऋण प्रवाह को संकलित किया गया है। 2021-22 के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र के अंतर्गत कुल 1,43,618 करोड़ रुपए के ऋण प्रवाह का अनुमान है। उन्होंने कहा कि संभावित अनुमान आत्म निर्भर भारत अभियान के उद्देश्य और इसके तहत घोषित उपायों व योजनाओं के पैकेज, 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य और सतत कृषि तथा ग्रामीण विकास की नीतियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इस वर्ष के राज्य फोकस पेपर का थीम विषय “किसान की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का संग्रह” है। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2021-22 के लिए कृषि क्षेत्र के लिए 88,141 करोड़ ऋण क्षमता का अनुमान लगाया गया है, जिसमें से अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण के लिए 55,414 करोड़ और 32,727 करोड़ रूपये क्रमश: कृषि अवधि ऋण के तहत डेयरी (6,666 करोड़ रुपए), जल संसाधन (3,032 करोड़ रुपए), कृषि यंत्रीकरण (4,213 करोड़ रूपए), भंडारण की सुविधा (4,489 करोड़ रूपए) और कृषि तथा खाद्य प्रसंस्करण (4,763 करोड़ रुपए) के तहत महत्वपूर्ण हैं। एमएसएमई के तहत ऋण क्षमता का आकलन 26,218 करोड़ रुपये किया गया है।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक ने यह साझा किया कि पिछले वर्ष 31 मार्च की स्थिति के अनुसार 41% सीडी रेसियो के साथ बिहार राज्य न्यूनतम सीडी रेसियो वाले राज्य में वर्गीकृत है एवं राज्य में 38 में से 28 जिलों को क्रेडिट डिफिशिएंट जिलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जहां प्रति व्यक्ति ऋण उपलब्धता 6000 रुपये से कम है। ऐसे में उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि वे राज्य फोकस पेपर में कृषि और संबद्ध क्षेत्र के साथ-साथ एमएसएमई और अन्य प्राथमिकता क्षेत्रों में सुझाए गए लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु कटिबद्ध रहें।
मौके पर वित्त विभाग के सचिव देवेश सेहरा ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए जोर दिया कि कृषि के तहत प्रत्येक उप-क्षेत्रों के लिए विशिष्ट योजना के माध्यम से ऋण गहनता की आवश्यकता है। राज्य में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की दिशा में ऋण की महत्वपूर्ण भूमिका है। आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक देवेश लाल ने भी सेमिनार को संबोधित करते हुए राज्य में ऋण प्रवाह बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देने की बात कही। उन्होनें कहा कि ऋण का प्रवाह जितना बढ़ेगा, राज्य का विकास दर उतना ही बढ़ेगा।
सेमिनार के दौरान विभिन्न बैंक शाखाओं एवं किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को उनके बेहतर कार्य प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। सेमिनार में सरकारी विभागों एवं बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों और नियंत्रण प्रमुखों ने भाग लिया।

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