September 18, 2025

कर्क लग्न व सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में मनेगी रामनवमी, राजा दशरथ ने कराया था पुत्रेष्टि यज्ञ

पटना। देश में फैले कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन की स्थिति में सनातन धर्मावलंबियों के कई अहम पर्व-त्योहार पड़ रहे हैं। चैत्र नवरात्र, वासंतिक छठ महापर्व और अब रामनवमी का त्योहार। श्रद्धालु सीमित संसाधनों में ही व्रत, उपवास, पूजा-आराधना, पाठ-जाप आदि कर रहे हैं। इस बार तो रामनवमी पर निकलने वाले सभी शोभायात्राओं पर भी पूर्ण पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन पर्व को लेकर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है। नियम, संयम, निष्ठा तथा सावधानी पूर्वक सभी पर्व-त्योहार को मना रहे हैं।
इस बीच भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जन्म दिवस के रूप में रामनवमी का पर्व गुरुवार को मनाया जाएगा। भगवान राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र व कर्क लग्न में इसी दिन हुआ था। भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। चैत्र नवरात्र करने वाले श्रद्धालु इसी दिन कन्या पूजन, हवन और पुष्पांजलि कर इसका करेंगे। रामनवमी के दिन ही ध्वजा पूजन कर नए ध्वज की स्थापना भी की जाएगी।
रामनवमी पर बना ग्रह-नक्षत्रों का दुर्लभ संयोग
ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि प्रभु श्रीराम का अवतरण चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र, कर्क लग्न व मध्याह्न काल की पावन बेला में हुआ था। कल दोपहर के समय इन्ही सब सुयोग के साथ सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग, गुरु-पुष्य योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ-साथ कर्क लग्न, कर्क राशि के साथ सूर्य तथा गुरु की उत्तम स्थिति में पूजा-पाठ, भक्ति, आराधना, सत्संग व मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान राम का जन्मोत्सव मनाना शुभकर रहेगा।
पूजन से मानसिक शांति व उन्नति
पंडित झा ने कहा कि भारतीय गुरुवार को चैत्र शुक्ल नवमी को रामनवमी के अति पुण्यदायक दिवस पर प्रभु श्रीराम व हनुमान आराधना से श्रद्धालुओं को शत्रु शमन, उच्च पद की प्राप्ति, मानसिक शांति, नेतृत्व क्षमता, मनोबल में वृद्धि, संबंधों में मधुरता तथा प्रगति के अवसरों की प्राप्ति के साथ समय की अनुकूलता प्राप्त होगी। पूरे दिन महानवमी या रामनवमी का त्योहार मनाया जाएगा। रामनवमी के दिन गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी। दक्षिण संप्रदाय के लोग इस पर्व को कल्याणोत्सव यानि प्रभु श्रीराम की शादी समारोह के रूप में मनाते हैं। उनकी मान्यता है कि इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम प्रगाढ़ होते हैं।
पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था राजा दशरथ को पुत्ररत्न
आचार्य झा ने पौराणिक ग्रंथों के हवाले से बताया कि भगवान श्रीराम का पृथ्वी पर प्राकट्य त्रेता युग में हुआ था। भगवान विष्णु के अवतार के रूप में उनका जन्म दुष्टों को दंड देने और मानव जाति के कल्याण के लिए हुआ था। उन्होंने धर्म के आधार पर एक आदर्श राज्य की स्थापना की थी। जब अयोध्या नरेश राजा दशरथ को अपनी तीनों रानियों से संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने ऋषि-मुनियों की सलाह पर पुत्रेष्टि यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसको महाराज दशरथ ने रानी कैशल्या को दे दिया। देवी कौशल्या ने उसमें से कुछ हिस्सा दूसरी रानियों केकैयी और सुमित्रा को भी दे दिया। इसके प्रभाव से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। रानी केकैयी ने भरत को और रानी सुमित्रा की कोख से लक्ष्मण का जन्म हुआ।
चैत्र नवरात्र वाले श्रद्धालु करेंगे हवन व कन्या पूजन
ज्योतिषी झा के अनुसार रामनवमी के दिन ही चैत्र नवरात्र करने वाले श्रद्धालु माता सिद्धिदात्री की पूजा के बाद हवन, पुष्पांजलि एवं कन्या पूजन कर इसका समापन कर माता से कोरोना महामारी से जल्द मुक्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। आज ही दुर्गा सप्तशती, रामचरित मानस आदि धर्म ग्रंथ के पाठ का समापन भी होगा। माता को खोर्इंछा देकर उनकी विदाई भी कल ही होगी। वहीं अगले दिन शुक्रवार को विजयादशमी का त्योहार मना कर श्रद्धालु जयंती धारण करेंगे।
रामनवमी पूजा शुभ मुहूर्त
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 08:47 बजे से 10:20 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:28 बजे से 12:18 बजे तक
नवमी तिथि आरंभ : आज निशामुख रात्रि 10:00 बजे से
नवमी तिथि समाप्त : कल 02 अप्रैल को रात्रि 08:56 बजे तक
राशि के अनुसार करे प्रभु श्रीराम का पाठ
मेष- श्रीराम रक्षा स्त्रोत का पाठ
वृष- श्रीराम स्तुति का पाठ
मिथुन- इंद्रकृत रामस्त्रोत का पाठ
कर्क- श्रीरामाष्टक का पाठ
सिंह- श्रीसीता रामाष्ट्कम का पाठ
कन्या- श्रीराम मंगलाशासनम का पाठ
तुला- श्रीराम प्रेमाष्ट्कम का पाठ
वृश्चिक- श्रीराम चंद्राष्ट्कम का पाठ
धनु- जटायुकृत श्री रामस्त्रोत का पाठ
मकर- आदित्य हृदय स्त्रोत के साथ श्री रामरक्षा स्त्रोत का पाठ
कुंभ- सुंदरकांड के साथ श्रीराम रक्षा कवच का पाठ
मीन- रामचरित मानस के अयोध्या और बालकाण्ड का पाठ

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