उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ मंगलवार को संपन्न हो जाएगा चैती छठ

पटना। छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। कोरोना संक्रमण को लेकर देश भर में लागू लॉकडाउन के बीच व्रतियों ने अपने छतों पर ही चैत्र शुक्ल षष्ठी को सर्वार्थ सिद्धि योग में अस्ताचगामी सूर्य देवता को अर्घ्य दी। बता दें लॉकडाउन के कारण किसी भी तरह की सामूहिक पूजा करने पर सरकार ने रोक लगा रखा है, ताकि कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके। यही कारण है कि व्रतियों ने अपने घरों के छतों पर ही अर्घ्य देना मुनासिब समझा। वहीं कल चैत्र शुक्ल सप्तमी को द्विपुष्कर योग में प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर छठव्रती अपना व्रत पूर्ण करेंगी। इसके साथ ही इस चार दिवसीय अनुष्ठान के साथ 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास भी समाप्त हो जाएगा।


ऋग्वैदिक काल से हो रहा है छठ महापर्व
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि व्रती मंगलवार को द्विपुष्कर योग में उदीयमान सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन कर पारण करेंगी। प्रात: कालीन अर्घ्य का शुभ मुहूर्त प्रात: 05:52 से 06:15 बजे तक है। उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद भी लेंगी। इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनायी जा रही हैं। इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चली आ रही है।
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने से यश, बल व बुद्धि
ज्योतिषी झा के मुताबिक उदीयमान सूर्य को अर्घ्य जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। स्थिर एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अर्घ्य देना चाहिए। कलयुग के प्रत्यक्ष देवता सूर्य को जल में गुड़ मिलाकर अर्घ्य देने से पुत्र और सौभाग्य का वरदान मिलता है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते है।

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