उत्तरी बिहार के लोगों का लगभग 90 वर्ष पुराना सपना सच होने के कगार पर
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हाजीपुर। लगभग 1.9 किलोमीटर लंबे नए कोसी महासेतु सहित 22 किलोमीटर लंबे निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड का निर्माण वर्ष 2003-04 में 323.41 रूयये करोड़ की लागत से स्वीकृत किया गया था। इसके उपरांत 06.06.2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शिलान्यास किया गया था। परियोजना की अद्यतन अनुमानित लागत 516.02 करोड़ रूपये है। बीते 23 जून को इस नवनिर्मित रेल पुल पर पहली बार ट्रेन का सफलतापूर्वक परिचालन किया गया। जल्द ही कार्य पूरा कर कोसी महासेतु सहित निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया जाएगा।
विदित हो कि कोसी नदी संपूर्ण बिहार को ही नहीं अपितु समग्र भारत और नेपाल की प्रमुख नदियों में अन्यतम मानी जाती है। यह बराह क्षेत्र, कुसहा तथा चतरा स्थानों से होते हुए बिहार की सीमा पर सहरसा जिले के वीरपुर और भीमनगर स्थानों पर आती है। अपने प्रवाह का मार्ग परिवर्तित करने में कोसी का कोई जोड़ नहीं है। बिहार में कोसी नदी की धाराओं का विस्थापन पिछले 100 वर्षों में लगभग 150 किलोमीटर के दायरे में होता रहा है। कोसी नदी के दोनों किनारों को जोड़ने में यह एक बहुत बड़ी रुकावट थी।
वर्तमान पुल का निर्माण निर्मली एवं सरायगढ़ के बीच किया गया है। निर्मली जहां दरभंगा-सकरी-झंझारपुर मीटर गेज लाइन पर अवस्थित एक टर्मिनल स्टेशन था, वहीं सरायगढ़, सहरसा और फारबिसगंज मीटर गेज रेलखंड पर अवस्थित था। सन् 1887 में बंगाल नॉर्थ-वेस्ट रेलवे ने निर्मली और सरायगढ़ (भपटियाही) के बीच एक मीटर गेज रेल लाइन का निर्माण किया था। उस समय कोसी नदी का बहाव इन दोनों स्टेशनों के मध्य नहीं था। उस समय कोसी की एक सहायक नदी तिलयुगा इन स्टेशनों के मध्य बहती थी, जिसके ऊपर लगभग 250 फीट लंबा एक पुल था। कोसी नदी के पश्चिम दिशा में उत्तरोत्तर विस्थापन के क्रम में सन् 1934 में यह पुल ध्वस्त हो गया एवं कोसी नदी निर्मली एवं सरायगढ़ के बीच आ गई।
कोसी की मनमानी धाराओं को नियंत्रित करने का सफल प्रयास पश्चिमी और पूर्वी तटबंध तथा बैराज निर्माण के साथ 1955 में आरंभ हुआ। पूर्वी और पश्चिमी छोर पर 120 किलोमीटर का तटबंध 1959 में पूरा कर लिया गया और 1963 में भीमनगर में बैराज का निर्माण भी पूरा कर लिया गया। इन तटबंधों तथा बैराज ने कोसी नदी के अनियंत्रित विस्थापन को संयमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके कारण इस नदी पर पुल बनाने की परियोजना साकार रूप ले सकी। निर्मली से सरायगढ़ तक का सफर वर्तमान में दरभंगा-समस्तीपुर-खगड़िया-मानसी-सहरसा होते हुए 298 किलोमीटर का है। इस पुल के निर्माण से यह 298 किलोमीटर की दूरी मात्र 22 किलोमीटर में सिमट जाएगी।


