पटना में युवक तीन दिनों से लापता, गंगाजल लाने गया था, डूबने की आशंका, तलाश जारी
पटना। पटना में गंगा नदी के किनारे एक युवक के गायब होने से परिजनों और इलाके में दहशत का माहौल है। कुम्हरार नगीना नगर निवासी विकास कुमार पिछले तीन दिनों से लापता है। परिजनों की बार-बार कोशिशों और खोजबीन के बावजूद अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
घटना की शुरुआत
मिली जानकारी के अनुसार, 20 सितंबर की शाम विकास कुमार अचानक घर से निकला और बिना कुछ बताए कलेक्ट्रेट घाट के पास पहुंच गया। परिजनों ने जब खोजबीन शुरू की तो पता चला कि वह अपने दोस्तों राजा कुमार, सन्नी कुमार, आयुष झा और दो नाबालिग बच्चों के साथ गंगा जल लेने नाव पर सवार हुआ था।
नदी के बीच बना हादसा
विकास के मित्रों ने परिजनों को बताया कि गंगा जल लेने के बाद जब वापस लौटने लगे तो विकास दो नाबालिग बच्चों के साथ नदी में नहाने लगा। इस दौरान तीनों डूबने लगे। स्थानीय लोगों और साथियों ने दोनों बच्चों को किसी तरह बचा लिया, लेकिन विकास पानी के तेज बहाव में बह गया और वह लापता हो गया।
परिजनों का आरोप
विकास के परिजनों ने गांधी मैदान थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उनका आरोप है कि घटना की सूचना मिलने के बाद भी प्रशासन ने खोजबीन में ठीक से सहयोग नहीं किया। परिजन तीन दिनों से प्राइवेट नाव लेकर संभावित स्थानों पर तलाश कर रहे हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल रही। उन्हें उम्मीद थी कि प्रशासन इस खोजबीन में और अधिक मदद करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुलिस जांच और परिजनों की मांग
परिजनों ने पुलिस से इस मामले में निष्पक्ष जांच करने और जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि केवल बच्चों और साथियों की बातों पर ही पूरा भरोसा नहीं किया जा सकता। नदी के तेज बहाव और उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए पुलिस को गहराई से जांच करनी चाहिए कि कहीं कोई अन्य कारण तो इस गुमशुदगी के पीछे नहीं है।
गंगा का तेज बहाव और खोज की चुनौतियां
गंगा नदी के इस वक्त बहाव काफी तेज है। ऐसे में शरीर या किसी भी सुराग को खोजना बेहद कठिन काम है। एक ही नाव के सहारे परिजन लगातार नदी में खोज कर रहे हैं, लेकिन नदी की गहराई और बहाव के कारण अब तक सफलता हाथ नहीं लगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन यदि गोताखोरों और अतिरिक्त संसाधनों की मदद से खोजबीन करता, तो शायद विकास का पता अब तक लग जाता।
परिजनों का दर्द और चिंता
विकास के घर में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। मां-बाप और रिश्तेदार दिन-रात उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई खबर आए और उनका बेटा सही-सलामत मिले। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा है, परिवार की आशंका बढ़ती जा रही है कि शायद विकास बच ना पाया हो। पिता और चाचा की आंखों में आंसू लगातार बने रहते हैं और घर के हर सदस्य की निगाह नदी की ओर टिकी है।
प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल
स्थानीय लोगों और परिजनों का कहना है कि ऐसी घटनाओं में जिला प्रशासन और एनडीआरएफ/एसडीआरएफ की टीम तुरंत सक्रिय होनी चाहिए। परंतु इस मामले में प्रशासन की ओर से अपेक्षित सहयोग और संसाधनों की उपलब्धता नहीं देखी जा रही है। यही कारण है कि तीन दिन बीतने के बाद भी युवक का कोई सुराग नहीं मिला।
गंगा घाटों की दिक्कतें
पटना के विभिन्न घाटों पर इस तरह की घटनाएं बार-बार होती रहती हैं। कलेक्ट्रेट घाट और उसके आसपास के क्षेत्रों में लोग पूजा या धार्मिक कारणों से गंगा जल लेने जाते हैं। कई बार युवक नहाने या तैरने लगते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। लेकिन इन घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होते। न तो बचावकर्मी रहते हैं और न ही चेतावनी संकेत दिए जाते हैं। यही वजह है कि इस तरह की घटनाएं आम होती जा रही हैं। पटना का यह मामला एक बार फिर प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। तीन दिन से लापता विकास कुमार की तलाश अब भी जारी है। परिवार और स्थानीय लोग पूरी उम्मीद और दर्द के साथ नदी किनारे घूम रहे हैं, जबकि प्रशासन की सुस्ती उनके गुस्से की वजह बनी है। गंगा में तेज बहाव के कारण खोजबीन कठिन जरूर है, लेकिन यदि प्रशासन पूरी सक्रियता दिखाए तो ऐसी घटनाओं के बाद पीड़ित परिवारों को कम से कम समय से राहत मिल सके। यह हादसा न केवल एक परिवार पर दर्द का पहाड़ बनकर टूटा है, बल्कि समाज के सामने यह चेतावनी भी है कि घाटों पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना अब जरूरी हो चुका है।


