ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, तहखाने में जारी रहेगी पूजा-अर्चना

  • आदेश के बाद खोल दिया गया था तहखाना, पूजा पर स्टे चाहता था मुस्लिम पक्ष

वाराणसी। ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में एक तहखाने में नमाज अदा करने के वाराणसी जिला अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली ज्ञानवापी मस्जिद समिति की अपील सोमवार को खारिज कर दी। इलाहाबाद HC के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने फैसला सुनाया। इससे पहले कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के बीच लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि हिंदू पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने – ‘व्यास तहखाना’ में प्रार्थना कर सकता है। अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित ‘पूजा’ और ‘पुजारी’ की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया था। ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में चार ‘तहखाने’ (तहखाने) हैं, जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है, जो वहां रहते थे। हालांकि, मस्जिद समिति का कहना है कि ‘व्यास तहखाना’ मस्जिद परिसर का एक हिस्सा होने के नाते उनके कब्जे में था, और व्यास परिवार या किसी अन्य को तहखाना के अंदर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं है। इस बीच, हिंदू पक्ष ने दावा किया कि व्यास परिवार 1993 तक तहखाने में धार्मिक समारोह आयोजित करता था, लेकिन राज्य सरकार के निर्देश के अनुपालन में उन्हें इसे बंद करना पड़ा।
पूजा पर स्टे चाहता था मुस्लिम पक्ष
हाईकोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पहले ही फैसला सुरक्षित रख लिया था। अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा पर स्टे लगाने की बात कही गई थी। मुस्लिम पक्ष का दावा था कि डीएम को वाराणसी कोर्ट ने रिसीवर नियुक्त किया है, जो पहले से काशी विश्वनाथ मंदिर के सदस्य हैं। इसलिए उनको नियुक्त नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि दस्तावेज में किसी तहखाने का जिक्र नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा था कि व्यासजी ने पहले ही पूजा का अधिकार ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था। उन्हें अर्जी दाखिल करने का अधिकार नहीं है।
आदेश के बाद खोल दिया गया था तहखाना
ज्ञानव्यापी मस्जिद के सर्वे के बाद तहखाना खोल दिया गया था। इस मामले में शैलेंद्र कुमार पाठक ने वाद भी दायर किया था, जिसके बाद 31 जनवरी को जिला जज के आदेश पर हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दे दिया गया था। जिला जल के आदेश के बाद काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी थी।
क्या है ज्ञानवापी तहखाने को लेकर विवाद
दरअसल, पूजा शुरू होने से पहले इस मामले में हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को उस वक्त की प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था। जिसको शुरू करने का पुनः अधिकार दिया जाए। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ का अधिकार दे दिया था।

About Post Author