November 17, 2025

पूर्णिया में डायन का आरोप लगाकर दो महिलाओं को बेरहमी से पीटा, हत्या की कोशिश, शिकायत दर्ज

पूर्णिया। पूर्णिया जिले से एक बार फिर से मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। के.हाट थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग इलाकों में दो महिलाओं को डायन बताकर ना केवल प्रताड़ित किया गया, बल्कि उनके साथ मारपीट और हत्या की कोशिश की गई। यह मामला न सिर्फ एक आपराधिक घटना है, बल्कि समाज में गहरे तक जड़े अंधविश्वास और महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता का जीता-जागता उदाहरण भी है।
रेलवे गुमटी इलाके में महिला पर हमला
पहली घटना जनता चौक रेलवे गुमटी के पास की है, जहां हनुमानबाग इलाके की रहने वाली एक महिला अपनी बुजुर्ग मां के साथ घर लौट रही थी। रास्ते में तीन महिलाएं और एक युवक, जो पास ही के रहने वाले हैं, ने उन्हें डायन कहकर थूक फेंका। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे गालियां देना शुरू कर दिया। बात यहीं नहीं रुकी, पीड़िता को बाल पकड़कर रेलवे लाइन पर पटक दिया गया और जान से मारने की नीयत से उसका गला दबाया गया। इस हमले के दौरान जब उसकी मां बीच-बचाव के लिए आगे आईं, तो उन्हें भी लात-घूसे मारे गए। आसपास के लोग जब मौके पर पहुंचे, तब जाकर हमला रुका और महिलाओं की जान बच सकी। पीड़ित महिला पहले अपनी मां को अस्पताल ले गईं और इलाज के बाद देर शाम घरवालों के साथ के.हाट थाना पहुंचीं। वहां उन्होंने हमलावरों के खिलाफ लिखित शिकायत देकर सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की।
महराजी हाता की पीड़िता की आपबीती
दूसरी घटना महराजी हाता की रहने वाली एक महिला के साथ हुई। उन्होंने पुलिस में दिए गए अपने बयान में बताया कि पिछले पाँच वर्षों से उनके पड़ोसी उन्हें डायन कहकर प्रताड़ित कर रहे हैं। उनके पति की मौत के बाद यह उत्पीड़न और बढ़ गया। आरोप है कि मोहल्ले की तीन महिलाओं समेत छह लोग उन्हें आए दिन गालियां देते हैं, ताना मारते हैं और मानसिक रूप से परेशान करते हैं। महिला ने बताया कि समाज के लोगों से मदद की अपेक्षा करने के बजाय उन्हें घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। विरोध करने पर मारपीट की जाती है और सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने की कोशिश की जाती है। तंग आकर उन्होंने अंततः पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस की प्रतिक्रिया
घटना की पुष्टि करते हुए के.हाट थानाध्यक्ष उदय कुमार ने बताया कि थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग इलाकों से डायन कहकर महिलाओं से मारपीट करने की घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस ने दोनों मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर ली है और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी गई है। थानाध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अपराधियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अंधविश्वास की जड़ें और सामाजिक पीड़ा
यह घटना एक बार फिर इस कटु सच्चाई को सामने लाती है कि बिहार जैसे राज्य में आज भी अंधविश्वास और डायन प्रथा जैसी कुरीतियां समाज में जीवित हैं। खासकर विधवा और अकेली महिलाओं को इन कुप्रथाओं का शिकार बनाया जाता है। समाज के कुछ स्वार्थी तत्व महिलाओं के खिलाफ अपने निजी दुश्मनी या ईर्ष्या को डायन जैसे आरोपों की आड़ में छिपा लेते हैं और उन्हें शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना देते हैं। इन घटनाओं से यह भी साफ है कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर हमारे समाज की मानसिकता में अब भी बड़ी खाई है। न्याय की प्रक्रिया में देर से सामाजिक पीड़िताओं को और अधिक दुख झेलना पड़ता है।
कानून और संवेदनशीलता की ज़रूरत
भारत में ‘डायन प्रथा’ के खिलाफ कानून बनाए गए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका प्रभाव सीमित है। बिहार सरकार ने “डायन विरोधी अधिनियम” भी लागू किया है, परंतु जागरूकता और सामाजिक चेतना के अभाव में यह कानून लोगों तक पहुँच नहीं पाता। पुलिस की त्वरित कार्रवाई जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक अभियान चलाकर लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ शिक्षित करना। पूर्णिया की यह घटना न सिर्फ एक आपराधिक मामला है, बल्कि समाज के सोचने की दिशा को भी सवालों के घेरे में लाती है। जब तक समाज में अंधविश्वास, महिला विरोधी मानसिकता और सामाजिक अलगाव जैसी प्रवृत्तियां मौजूद रहेंगी, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी। इसलिए केवल कानूनी कार्रवाई ही नहीं, बल्कि शिक्षा, सामाजिक चेतना और जनजागरण की दिशा में ठोस पहल आवश्यक है। यही पीड़ित महिलाओं के साथ सच्चा न्याय होगा और समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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