अररिया में दहेज के लिए महिला की हत्या, गला दबाकर मार डाला, पति समेत परिवार फरार

अररिया। बिहार के अररिया जिले में एक बार फिर दहेज की कुप्रथा ने एक मासूम जान ले ली। सोमवार देर रात सिकटी थाना क्षेत्र के लेटी गांव में 25 वर्षीय आफरीन खातून की गला दबाकर हत्या कर दी गई। यह घटना समाज में आज भी मौजूद उस क्रूर मानसिकता की एक और कड़ी बन गई है, जहां बेटी को पैसे और सामान के तराजू में तौला जाता है।
शादी के समय दिया गया था भरपूर सामान
मृतका आफरीन की शादी वर्ष 2021 में लेटी गांव निवासी जाकिर के पुत्र कामिल के साथ हुई थी। शादी के समय आफरीन के परिजनों ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार पलंग, टीवी, फ्रिज और अन्य घरेलू सामान दहेज में दिए थे। लेकिन इसके बाद भी आफरीन के ससुराल वाले संतुष्ट नहीं हुए और लगातार तीन लाख रुपये नगद की मांग करते रहे।
लगातार हो रही थी प्रताड़ना
मृतका के परिजनों का कहना है कि जब से आफरीन की शादी हुई थी, वह लगातार शारीरिक और मानसिक यातना सह रही थी। एक बार तो ससुराल वालों की मारपीट में उसका जबड़ा तक टूट गया था। उस समय समाज के स्तर पर पंचायत हुई, समझौता हुआ और आफरीन को दोबारा ससुराल भेज दिया गया। परंतु वहां उसके साथ अमानवीय व्यवहार फिर से शुरू हो गया।
हत्या के बाद पति समेत ससुराल वाले फरार
सोमवार को ग्रामीणों से खबर मिली कि आफरीन की ससुराल में उसकी हत्या कर दी गई है। रात करीब 11 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए अररिया सदर अस्पताल भेज दिया गया। वहीं, घटना के बाद आफरीन का पति कामिल, ससुर और अन्य परिजन फरार हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की तलाश में छापेमारी की जा रही है।
मां ने लगाई न्याय की गुहार
मृतका की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी को दहेज के लिए मारा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी बार-बार अपनी पीड़ा बताती थी, लेकिन समाजिक दबाव में वे बार-बार उसे ससुराल भेजने को मजबूर होते रहे। अब जब बेटी की जान ही चली गई, तब उन्हें न्याय की उम्मीद है।
पुलिस कर रही है जांच
सिकटी थाना पुलिस का कहना है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है और गंभीरता से इसकी जांच की जा रही है। फिलहाल आरोपी फरार हैं लेकिन पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। जल्द ही दोषियों की गिरफ्तारी कर उन्हें कानून के कठघरे में लाया जाएगा।
दहेज हत्या की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय
इस घटना ने एक बार फिर समाज में दहेज प्रथा की भयावहता को उजागर कर दिया है। कानून होने के बावजूद ऐसी घटनाएं रुक नहीं रही हैं। यह सवाल समाज और शासन दोनों के लिए चिंतन का विषय है कि कब तक बेटियां इसी तरह दहेज की बलि चढ़ती रहेंगी। जरूरत है कि ऐसे मामलों में त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी सजा मिले ताकि अन्य लोगों को सबक मिल सके। आफरीन की मौत सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। समय आ गया है कि दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ समाज सामूहिक रूप से खड़ा हो और बदलाव की दिशा में ठोस कदम उठाए।
