पटना में डायन के आरोप में महिला और उसके परिवार पर हमला, लाठी-डंडों से पीटा, चार लोग घायल

पटना। जिले के बाढ़ थाना क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों के चलते एक महिला और उसके परिवार को हिंसक हमले का शिकार बनना पड़ा। पीड़िता राधा देवी को उसके ही पड़ोसियों ने डायन बताकर लाठी-डंडों से पीटा। इस हमले में राधा देवी समेत कुल चार लोग घायल हो गए, जिनमें उनके बेटे राजेश कुमार, रामअवतार पासवान और सुजीत कुमार का नाम प्रमुख है। यह घटना ना केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि समाज में आज भी जिंदा अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका भी प्रमाण देती है।
डायन बताकर की गई मारपीट
राधा देवी ने बताया कि उनके जाउत और उसके परिवार के पांच लोगों ने मिलकर पहले उन्हें डायन कहा, फिर उनके साथ मारपीट की। आरोपियों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया, जिससे राधा देवी का बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। उसका सिर फट गया और परिवार के बाकी सदस्यों को भी गंभीर चोटें आई हैं। यह हमला अचानक नहीं था, बल्कि कई वर्षों से चले आ रहे आरोपों की परिणति था, जिसमें राधा देवी को अक्सर गांव में बीमारियों और अनहोनी की वजह बताया जाता था।
पड़ोसी का आरोप और पारिवारिक रंजिश
घटना के पीछे के कारणों में पारिवारिक रंजिश भी एक बड़ा कारण नजर आता है। राधा देवी के पड़ोसी सुधीर पासवान का कहना है कि राधा देवी कई सालों से उनके परिवार पर जादू-टोना कर रही हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि जब भी उनके घर में कोई बीमार पड़ता है या कोई अनहोनी होती है, वे राधा देवी को ही जिम्मेदार मानते हैं। हालांकि, यह आरोप किसी वैज्ञानिक या कानूनी आधार पर नहीं है, बल्कि पूरी तरह अंधविश्वास पर आधारित है।
पारिवारिक विवाद और सामाजिक तनाव
मामले में एक और सामाजिक पक्ष जुड़ा हुआ है। बताया गया कि यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब रामअवतार पासवान ने अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद दूसरी शादी कर ली। गांव में इस विवाह को लेकर पहले से ही तनाव था, और यह हमला उस तनाव का भी परिणाम हो सकता है। सुजीत कुमार ने बताया कि उनके चचेरे भाई उनकी मां को अक्सर डायन कहकर प्रताड़ित करते थे, और अब हमला कर दिया गया।
घटना के बाद आरोपी फरार, पुलिस को जानकारी नहीं
हमले के बाद आरोपी पक्ष के लोग घर छोड़कर फरार हो गए हैं। रामअवतार पासवान का कहना है कि उनका किसी से कोई लेन-देन नहीं है, फिर भी उन्हें और उनके परिवार को डायन बताकर मारा-पीटा गया। उन्होंने यह भी कहा कि वह मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं, और इस तरह की हिंसा का वह कोई कारण नहीं समझ पा रहे हैं। घटना के बाद जब दूसरे पक्ष के घर संपर्क करने की कोशिश की गई तो वहां ताले लगे मिले और किसी की मौजूदगी नहीं थी।
पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच की स्थिति
इस पूरे मामले पर बाढ़ थाना अध्यक्ष ब्रजकिशोर सिंह का कहना है कि उन्हें अभी तक इस घटना की कोई औपचारिक जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि जैसे ही पीड़ित पक्ष की ओर से आवेदन प्राप्त होगा, जांच शुरू की जाएगी और कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, यह चिंता का विषय है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई, या फिर उन्होंने अभी तक पहल नहीं की।
अंधविश्वास और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
यह घटना साफ दर्शाती है कि आज भी समाज के कुछ हिस्सों में अंधविश्वास और कुरीतियों का बोलबाला है। किसी को डायन बताकर प्रताड़ित करना या मारपीट करना कानूनन अपराध है, लेकिन जब तक समाज में जागरूकता नहीं फैलेगी, ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहेंगी। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस दिशा में ठोस प्रयास करने की जरूरत है ताकि कोई महिला सिर्फ अंधविश्वास के कारण अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में न डाले। साथ ही, पुलिस प्रशासन को भी ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करना चाहिए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।
