December 4, 2025

1 दिसंबर से शुरू होगी 18वीं विधानसभा: पेपरलेस होगा शीतकालीन सत्र, डिजिटल रूप से होंगे प्रश्नोत्तर

पटना। बिहार की नई 18वीं विधानसभा का पहला शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जो 5 दिसंबर तक चलेगा। इस बार विधानसभा की कार्यवाही कई कारणों से खास रहने वाली है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब सदन पूरी तरह पेपरलेस मोड में काम करेगा। यानी विधायकों की हर कार्यवाही, प्रश्न, पूरक प्रश्न और अन्य संसदीय प्रक्रियाएँ डिजिटल माध्यम से संचालित होंगी। यह कदम विधानसभा को आधुनिक और तकनीक-सक्षम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सदन होगा पूरी तरह पेपरलेस
नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (नेवा योजना) के तहत बिहार विधानसभा ने कागज के उपयोग को न्यूनतम करने की दिशा में यह बड़ा फैसला लिया है। विधानसभा की सभी सीटों पर नए डिजिटल टैब स्थापित कर दिए गए हैं। विधायकों को इन टैब के माध्यम से प्रश्न पूछने, दस्तावेज पढ़ने, सूचनाएँ प्राप्त करने और चर्चाओं में हिस्सा लेने की सुविधा मिलेगी। इस प्रणाली का उद्देश्य समय की बचत, पारदर्शिता और संसाधनों के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देना है। शुक्रवार को विधानसभा परिसर में टैब इंस्टॉल करने का काम लगभग पूरा हो गया। उल्लेखनीय है कि विधानपरिषद में यह व्यवस्था पहले से ही लागू है और अब विधानसभा में इसे शुरू किया जा रहा है। नए निर्वाचित विधायक इस पेपरलेस व्यवस्था का लाभ लेने वाले पहले सदस्य होंगे।
सुरक्षा और प्रबंधन पर विशेष जोर
विधानपरिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विधानसभा परिसर में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सत्र के दौरान सुरक्षा और प्रबंधन से जुड़े विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा भवन में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चाक-चौबंद होनी चाहिए। परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों को 24 घंटे सक्रिय रखने की हिदायत दी गई है। इसके साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा, सफाई और पार्किंग की स्थिति को बेहतर बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। सभापति ने स्पष्ट कहा कि नए विधायकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए संबंधित विभागों को पूरी तैयारी के साथ काम करना होगा। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी अधिकारियों को निर्देशित किया कि पहले सत्र में किसी भी प्रकार की कमी न रह जाए और सभी प्रक्रियाएँ सुचारू रूप से संचालित हों।
सत्र का विस्तृत कार्यक्रम
इस सत्र में कई महत्वपूर्ण संसदीय कार्य होंगे, जिनका कार्यक्रम पहले ही तय कर लिया गया है।
1 दिसंबर को नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ ग्रहण कराया जाएगा।
2 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव संपन्न होगा।
3 दिसंबर को सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें राज्यपाल का अभिभाषण होगा।
4 दिसंबर को अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और सरकार की ओर से जवाब पेश किया जाएगा।
5 दिसंबर को द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी पर चर्चा और विनियोग विधेयक पारित किया जाएगा।
यह कार्यक्रम बताता है कि पाँच दिनों के इस सत्र में विधायी, वित्तीय और प्रशासनिक विषयों पर गहन चर्चा होगी।
डिजिटल बदलाव से बढ़ेगी कार्यक्षमता
विधानसभा को डिजिटल बनाने का निर्णय न केवल तकनीकी उन्नति को दर्शाता है, बल्कि इससे कार्यक्षमता में भी बड़ा सुधार होने की संभावना है। अब कागजी फाइलों, दस्तावेजों और नोटिसों पर निर्भरता समाप्त होगी। विधायकों को हर जानकारी उनके टैब पर वास्तविक समय में उपलब्ध होगी। इससे कार्यवाही तेज और अधिक पारदर्शी बनेगी। नेवा योजना का उपयोग करके सदन में हर दस्तावेज का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा। इससे न केवल संसाधनों की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा।
अन्य राज्यों में पहले ही शुरू हो चुकी है पेपरलेस व्यवस्था
बिहार विधानसभा अब उन राज्यों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां सदन की कार्यवाही पूरी तरह डिजिटल माध्यम से संचालित होती है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्ष 2022 से ही पेपरलेस व्यवस्था लागू है। वहाँ भी विधायकों को टैब के माध्यम से प्रश्न पूछने और संसदीय प्रक्रिया में भाग लेने की सुविधा दी गई है। इसी तरह देश के कई अन्य राज्यों में भी ई-विधान प्रणाली को अपनाया जा चुका है। बिहार में इस व्यवस्था का लागू होना राज्य को डिजिटल शासन के नए चरण में ले जाएगा। इससे अन्य राज्यों को भी यह संदेश मिलेगा कि तकनीक के माध्यम से संसदीय प्रक्रियाओं को सरल, पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सकता है। 18वीं बिहार विधानसभा का यह पहला सत्र आधुनिक तकनीक और संसदीय परंपराओं के समन्वय का प्रतीक है। पेपरलेस व्यवस्था न केवल समय और संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि सदन की कार्यवाही को अधिक प्रभावी और व्यवस्थित बनाने में भी सहायक होगी। सुरक्षा, प्रबंधन और प्रशासनिक तैयारियाँ इस बात का संकेत देती हैं कि सरकार नए सत्र को अत्यंत गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ शुरू करने जा रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह डिजिटल बदलाव सदन की कार्यप्रणाली को किस तरह प्रभावित करता है।

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