November 12, 2025

1 दिसंबर से शुरू होगा संसद का शीतकालीन सत्र: 19 तक चलेगा, 15 बैठकें होंगी, जबरदस्त हंगामा के आसार

नई दिल्ली। देश की संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू होगा और यह 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान कुल 15 बैठकें होंगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सत्र आयोजित करने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार का लक्ष्य है कि यह सत्र न केवल विधायी दृष्टि से उत्पादक हो, बल्कि लोकतंत्र को और मजबूत बनाने की दिशा में सार्थक साबित हो। हालांकि, पिछले सत्र की तरह इस बार भी विपक्ष के तीखे विरोध और हंगामे के आसार हैं। पिछले मानसून सत्र के दौरान बिहार एसआईआर (स्पेशल इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट) को लेकर विपक्ष ने लगातार प्रदर्शन किया था, जिसके कारण सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई थी। इस बार भी विपक्ष कई मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
सत्र की अवधि और बैठकें
शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा और कुल 15 बैठकें होंगी। यह सत्र वर्ष का अंतिम सत्र होता है, जिसमें सरकार आमतौर पर महत्वपूर्ण विधेयक पेश करती है और वित्तीय मामलों पर चर्चा होती है। इस बार भी कई अहम बिलों को पारित कराने की तैयारी की जा रही है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार चाहती है कि यह सत्र बहस और चर्चा के माध्यम से लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष भी सहयोग करेगा ताकि संसद में सार्थक चर्चा हो सके।
पिछले मानसून सत्र का अनुभव
इससे पहले 21 जुलाई से 21 अगस्त तक चला मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। बिहार एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष ने दोनों सदनों में लगातार प्रदर्शन किया। संसद में तय 120 घंटे की कार्यवाही में लोकसभा केवल 37 घंटे और राज्यसभा 41 घंटे ही चल पाई। इसके बावजूद सरकार ने लोकसभा में 12 और राज्यसभा में 15 विधेयक पारित कराए। हालांकि, विपक्ष ने कहा था कि बिना पर्याप्त चर्चा के बिलों को पारित किया गया।
सबसे चर्चित रहा संविधान संशोधन बिल
मानसून सत्र के दौरान “गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने वाला संविधान संशोधन बिल” सबसे चर्चित रहा। यह बिल विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस का कारण बना। विपक्ष ने मांग की कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाए, जिसे अंततः स्वीकार कर लिया गया। इस बिल में प्रावधान था कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार होता है, तो उसे तत्काल अपने पद से हटना होगा। विपक्ष ने इसे “राजनीतिक हथियार” कहकर विरोध किया, जबकि सरकार ने इसे “लोकतंत्र की पारदर्शिता” के लिए जरूरी बताया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा
इस सत्र की एक और बड़ी घटना रही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा। 21 जुलाई की रात उन्होंने देश के 14वें उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे दिया। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ दिया। धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी। वे पहले ऐसे उपराष्ट्रपति बने जिन्होंने अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दिया। उनके इस्तीफे के कारण राज्यसभा के संचालन में भी कई बार व्यवधान देखने को मिला।
बिहार एसआईआर पर विपक्ष का हंगामा
मानसून सत्र की शुरुआत से ही बिहार एसआईआर मुद्दा प्रमुख रहा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस रिपोर्ट को छिपा रही है, जिसमें बिहार से जुड़े कई वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आरोप हैं। 22 जुलाई को जब सत्र का दूसरा दिन था, तभी से विपक्ष ने सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया था। लगातार विरोध और नारेबाजी के कारण संसद की कार्यवाही कई दिनों तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों ने कहा कि जब तक एसआईआर रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, वे सदन नहीं चलने देंगे। इस वजह से कई अहम चर्चाएं अधूरी रह गईं।
ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे लंबी बहस
29 जुलाई को संसद में “ऑपरेशन सिंदूर” पर 16 घंटे लंबी बहस हुई। यह चर्चा मानसून सत्र की सबसे लंबी बहस मानी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इसमें हिस्सा लिया। राहुल गांधी ने 36 मिनट के अपने भाषण में कहा कि “अगर प्रधानमंत्री में हिम्मत है तो वे सदन में यह कहें कि वह झूठ बोल रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जनता से सच्चाई छिपा रही है। इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने एक घंटे 40 मिनट लंबा भाषण दिया। उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक क्षमता का उदाहरण है। दुनिया के किसी भी देश ने भारत को अपनी सुरक्षा कार्रवाई से नहीं रोका।” इस दौरान पीएम मोदी ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना कहा कि भारत अब किसी के दबाव में नहीं चलता। यह बहस लोकसभा के इतिहास में सबसे तीखी चर्चाओं में से एक रही।
ऑनलाइन मनी गेम्स पर बैन वाला बिल
संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा ने ऑनलाइन मनी गेम्स पर बैन लगाने वाला विधेयक पारित किया। इससे एक दिन पहले यह बिल लोकसभा में पास हुआ था। इस कानून के तहत ड्रीम-11, पोकर, रमी जैसे मनी बेस्ड ऑनलाइन गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि इन खेलों से युवाओं में लत और आर्थिक नुकसान बढ़ रहे थे। यह कानून आने के बाद ऐसे प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई की जाएगी।
शीतकालीन सत्र में संभावित मुद्दे
आगामी शीतकालीन सत्र में भी विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। इनमें बेरोजगारी, महंगाई, किसान मुद्दे, ईवीएम पारदर्शिता, और हाल के अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़ी बहसें प्रमुख हो सकती हैं। वहीं सरकार की योजना है कि इस सत्र में कुछ अहम आर्थिक और सामाजिक सुधार संबंधी विधेयक पेश किए जाएं। इसके अलावा “राष्ट्रीय शिक्षा सुधार अधिनियम” और “नई निवेश नीति विधेयक” पर चर्चा की संभावना है। 1 दिसंबर से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र राजनीतिक रूप से काफी गर्म रहने वाला है। पिछले सत्र की तरह इस बार भी सरकार और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, सरकार की कोशिश रहेगी कि इस सत्र को उत्पादक बनाया जाए और लंबित विधेयकों को पारित कराया जा सके। वहीं विपक्ष के लिए यह सत्र अपनी एकजुटता और आक्रामक रणनीति दिखाने का मौका होगा। जनता की उम्मीद यही है कि हंगामे के बजाय संसद में गंभीर चर्चा हो, ताकि देश के सामने मौजूद असली मुद्दों पर ठोस निर्णय लिए जा सकें।

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