पश्चिमी सभ्यता ने पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया : प्रो. आईएन

टीपीएस कॉलेज में त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन

पटना। पश्चिमी सभ्यता उपभोक्तावादी है और उसने पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। बड़े-बड़े कल कारखाने और आधुनिक जीवन शैली पर्यावरण के लिए घातक हैं। विज्ञान और तकनीक के सहारे हम आगे जरूर बढ़ रहे हैं, मगर इसकी भारी कीमत भी हमें चुकानी पड़ रही है। सरल जीवन और उच्च विचार के गांधीवादी सिद्धांत पर चलकर ही हम पृथ्वी पर जीवन को नष्ट होने से बचा सकते हैं। यह बातें टीपीएस कॉलेज में राष्ट्रीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा सम्पोषित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में बीज-वक्तव्य देते हुए पटना विश्वविद्यालय के पूर्व दर्शनशास्त्र अध्यक्ष प्रो. आईएन सिन्हा ने कहीं।
प्रतिदिन जीवों की 28 प्रजातियां विलुप्त हो रही
विशिष्ठ अतिथि के रूप में बोलते हुए पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. रास बिहारी सिंह ने पर्यावरण की समस्या: पारम्परिक एवं आधुनिक परिप्रेक्ष्य विषय पर आयोजित इस सेमिनार में बताया कि आज मानव जाति विनाश के कगार पर है। प्रतिदिन जीवों की 28 प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। यही रफ्तार रही तो मानव जाति के समाप्त होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। भारत में ग्रामीण परिस्थितिकी के बर्बाद होने के कारण पर्यावरणीय संकट बढ़ा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रकृति के नियमों का सम्मान करते हुए विकास करना होगा, तभी हम इस संकट का सामना कर सकते हैं। इसके लिए विश्व के नेताओं और वैज्ञानिकों को तत्काल ठोस निर्णय लेना होगा।
मानव का मूल चरित्र प्रकृति-प्रेमी का रहा है
भारतीय अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. आरसी सिंहा ने मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कहा कि मानव का मूल चरित्र प्रकृति-प्रेमी का रहा है। अगर वह प्रकृति का शोषण बंद कर दे तो अपनी आने वाली पीढ़ी को बचा सकता है। उन्होंने घोषणा की कि आईसीपीआर ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों को भी अनुसंधान और संगोष्ठी आयोजित करने के लिए अनुदान देगी।
सौ से अधिक पत्र पढ़े जायेंगे
समारोह की शुरूआत में प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि टीपीएस कॉलेज के लिए यह सम्मान का विषय है कि इस राष्ट्रीय सेमिनार में देश के अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में शिक्षक, विद्वान शोधार्थी शामिल हो रहे हैं। सौ से अधिक पत्र इस त्रिदिवसीय सेमिनार में पढ़े जायेंगे। समारोह का सफल संचालन प्रो. अबू बकर रिजवी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन मनीष कुमार ने किया। भोजनावकाश के बाद चले दो समान्तर सत्रों में कुल 30 पत्र प्रस्तुत किए गये।
उद्घाटन सत्र में अन्य लोगों के इलावा प्रो. बीएन ओझा, प्रो. इन्द्रजीत कुमार राय, प्रो. एनपी तिवारी, प्रो. किस्मत कुमार सिंह, प्रो. शैलेश कुमार सिंह, प्रो. पुर्णेन्दू शेखर, प्रो. जावेद अखतर खां, प्रो. विजय कुमार सिंहा, प्रो. शशि भूषण चौधरी, प्रो. अंजलि प्रसाद मौजूद थे।