तेजस्वी को कांग्रेस का जवाब, शकील अहमद बोले- हमें अगर कोई हल्के में लेगा तो हम भी उसे हल्के मे लेंगे
- शकील अहमद बोले…इंडिया का गठन देश में सांप्रदायिक से लड़ने को हुआ…लोगों की सोच अलग पर यह अभी भी कायम
पटना। 2025 में बिहार विधानसभा चुनावों में अभी छह महीने से अधिक का समय है, लेकिन महागठबंधन के दो प्रमुख दलों, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच रिश्तों में तनाव साफ दिखने लगा है। विपक्ष के इंडिया गठबंधन, जिसका गठन सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करने के लिए किया गया था, अब नेतृत्व और आगामी चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति में है।
तेजस्वी यादव का बयान
बुधवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी। जब उनसे पूछा गया कि क्या 2025 का विधानसभा चुनाव भी इंडिया गठबंधन के फॉर्मूले पर लड़ा जाएगा, उन्होंने कहा, “इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव तक का था। बिहार में कांग्रेस के साथ पहले से ही गठबंधन है, आगे बातचीत की जाएगी।” इस बयान ने कांग्रेस को असमंजस में डाल दिया और गठबंधन की भविष्य की संभावनाओं पर सवाल खड़े कर दिए।
कांग्रेस का पलटवार
तेजस्वी के बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने साफ शब्दों में कहा, “कांग्रेस को अगर कोई हल्के में लेगा तो कांग्रेस उसे उससे भी ज्यादा हल्के में लेगी।” उन्होंने आगे कहा कि इंडिया गठबंधन का मुख्य उद्देश्य सांप्रदायिक सोच को रोकना है और यह काम अभी भी जारी रहेगा। उन्होंने गोड़से की सोच और ‘डिवाइड एंड रूल’ की राजनीति को रोकने की बात पर जोर दिया। शकील अहमद ने यह भी कहा कि मौजूदा बिहार सरकार जनता के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने तेजस्वी यादव के बयान को गलत बताते हुए गठबंधन की मजबूती और इसकी आवश्यकता पर जोर दिया।
इंडिया गठबंधन और नेतृत्व पर असमंजस
इंडिया गठबंधन के गठन का उद्देश्य देश में सांप्रदायिक ताकतों को रोकना और विपक्ष को एकजुट करना था। लेकिन तेजस्वी यादव के बयान ने गठबंधन में नेतृत्व को लेकर उभरी दरार को सार्वजनिक कर दिया। यह सवाल भी उठने लगा कि क्या विपक्षी दल आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट रह पाएंगे।
बिहार में राजनीतिक समीकरण
बिहार की राजनीति में आरजेडी और कांग्रेस दोनों महागठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन दोनों के बीच तालमेल का अभाव अक्सर देखा गया है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच खींचतान 2025 के विधानसभा चुनावों में गठबंधन की रणनीति पर असर डाल सकती है। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने स्वाभिमान के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी।
भविष्य की राजनीति पर असर
तेजस्वी यादव और कांग्रेस के बीच यह मतभेद महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। अगर दोनों दल आपसी संवाद और समझदारी से काम नहीं लेते, तो यह महागठबंधन के लिए बड़ा झटका हो सकता है। इंडिया गठबंधन का भविष्य और महागठबंधन की एकता आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। तेजस्वी यादव और कांग्रेस को अपने मतभेदों को भुलाकर जनता के हित में काम करना होगा। गठबंधन की सफलता आपसी तालमेल और साझा उद्देश्य पर निर्भर करेगी।


