बेतिया में गंडक नदी का जलस्तर बढ़ा, जनजीवन अस्त-व्यस्त, दो गांवों का टूटा संपर्क

- विद्यालयों में पानी घुसा, शिक्षक और बच्चे जोखिम में; नाव की मांग तेज़
बेतिया। गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर ने पश्चिम चंपारण जिले के ग्रामीण इलाकों में अफरा-तफरी मचा दी है। योगापट्टी प्रखंड के जरलपुर खुटवनिया पंचायत स्थित बैसिया गोडटोली और हरिजन टोली गांव पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। इन दोनों गांवों का सड़क संपर्क बाकी इलाकों से टूट गया है। ग्रामीणों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, बाल्मीकि नगर स्थित गंडक बराज से करीब 65 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ा है। इसका असर कच्ची गलियों के साथ-साथ मुख्य सड़कों पर भी साफ देखा जा सकता है, जहां तीन से चार फीट तक पानी भर गया है। गांव के अधिकांश रास्ते जलमग्न हो चुके हैं, जिससे लोगों का बाहर निकलना दूभर हो गया है।
शिक्षकों की जान जोखिम में, स्कूल पहुंचना चुनौती
गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बैसिया हरिजन टोली के शिक्षक विनय कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षक छाती तक पानी में चलकर स्कूल पहुंचने को मजबूर हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि पानी में जहरीले कीड़े-मकोड़े और मगरमच्छ तक देखे गए हैं। बावजूद इसके शिक्षक अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए हर दिन जोखिम उठाकर विद्यालय पहुंचते हैं। यह स्थिति हर साल बरसात के तीन महीनों तक बनी रहती है।
विद्यालयों की हालत चिंताजनक
गजना बैसिया गांव में स्थित दो विद्यालयों में से एक को बचाव के तौर पर ऊंचे स्थान पर संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में स्थानांतरित किया गया है। लेकिन दूसरा विद्यालय अभी भी पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ है और उसी जलमग्न स्थिति में शैक्षणिक गतिविधियाँ किसी तरह जारी हैं। सरकारी नाव की व्यवस्था न होने के कारण बच्चे और शिक्षक जलभराव वाली सड़कों को पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं, जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
स्थानीय लोगों की मांग, नाव या स्थानांतरण जरूरी
गांव के शिक्षकों और ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि जब तक जलस्तर सामान्य नहीं हो जाता, तब तक विद्यालयों को स्थायी रूप से किसी ऊंचे स्थान पर स्थानांतरित किया जाए या फिर नाव की सरकारी व्यवस्था की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल यही स्थिति उत्पन्न होती है लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।
जलस्तर में वृद्धि से स्वास्थ्य और सुरक्षा पर संकट
नदी के उफान पर होने से न केवल शिक्षा प्रभावित हो रही है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। कई घरों में पानी घुसने लगा है, जिससे संक्रामक रोग फैलने की भी आशंका बढ़ गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल राहत एवं पुनर्वास कार्यों को तेज करने की अपील की है।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया का इंतजार
हालांकि स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही कोई राहत कार्य शुरू किया जाएगा। बरसात का मौसम अभी जारी है और अगर स्थिति यही बनी रही तो आने वाले दिनों में हालात और बदतर हो सकते हैं।
