विश्व हिंदी काव्योत्सव में गूंजे बिहारी लोकगीत,लोक गायिका नीतू नवगीत की प्रस्तुति ने मन मोह लिया

पटना/नई दिल्ली।विश्व हिंदी परिषद द्वारा आयोजित काव्योत्सव में बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने बिहार के पारंपरिक लोकगीतों और स्वरचित गीतों की प्रस्तुति से श्रोताओं का मन मोह लिया । एक साथ कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित इस कार्यक्रम में नीतू कुमारी नवगीत ने कहा कि लोकगीतों का संसार काफी विस्तृत है । जब कभी शास्त्रीयता के कारण माहौल दमघोंटू हुआ, लोगों ने बने-बनाए नियमों को तोड़ते हुए अपनी सुविधा और सहजता के अनुसार नए गीत रचे और समूह में उसे गाया । यही गीत हमारी लोक विरासत का हिस्सा बने । मौखिक परंपरा से ये लोकगीत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाए गए । नीतू नवगीत ने वरिष्ठ कवि कमलेश द्विवेदी द्वारा रचित गणेश वंदना गणपति तुम्हारी महिमा सबसे न्यारी से कार्यक्रम की शुरुआत की । गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के पुष्प वाटिका प्रसंग पर आधारित जीत देख कर रामजी को जनक नंदिनी बाग में बस खड़ी की खड़ी रह गई राम देखे सिया को सिया राम को चारो अँखिया लड़ी की लड़ी रह गई गाया जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया । उन्होंने झूमर गीत बाबा दिहले टिकवा सेहुरे हम तेजब बलमुआ कैसे तेजब हो छोटी ननदी और कजरी गीत कईसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घिर आईल ननदी के साथ खूब रंग जमाया । कृष्ण जी का सोहर गीत यशोदा के भइले ललनवा और विवाह गीत आज जनकपुर में मड़वा सीता के चढ़े ला हरदिया गाकर श्रोताओं को बिहार के पारंपरिक संस्कार गीतों से परिचय कराया । विश्व हिंदी परिषद के इस कार्यक्रम में नीतू नवगीत ने स्वरचित देवी गीत पिपरा पतईया उड़ी जाला मंदिर में, कईसे हम पूजी हो गाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया । सांस्कृतिक कार्यक्रम में रविंद्र मिश्रा रवीश ने तबला पर, सुजीत कुमार ने हारमोनियम पर और पिंटू कुमार ने पैड पर संगत किया । कार्यक्रम के दौरान विनय कुमार भारद्वाज, कमलेश द्विवेदी, मानवेंद्र आदि उपस्थित रहे ।विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ बिपिन कुमार ने कहा कि विश्व हिंदी परिषद एक वैचारिक संगठन है, जो अपने देश भारत को सांस्कृतिक राष्ट्र निर्माण करने के साथ अपनी मातृभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। परिषद पूरे वर्ष दो अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कई क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन करती है।

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