September 16, 2025

देश में 9 सितंबर को होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, 21 अगस्त तक भरे जाएंगे नामांकन, इंडिया ब्लॉक देगा उम्मीदवार

नई दिल्ली। देश के अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव अब तय हो गया है। चुनाव आयोग ने आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा। इसके साथ ही सियासी हलचल तेज हो गई है क्योंकि यह चुनाव ऐसे वक्त में हो रहा है जब संसद का मानसून सत्र भी अपने निर्णायक दौर में होगा और विपक्ष तथा सत्ता पक्ष दोनों ही अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुआ पद
यह चुनाव अचानक तब जरूरी हो गया जब मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से हटने का निर्णय लिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई को मंजूर कर लिया। गौरतलब है कि धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उनके अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
निर्वाचन आयोग की तैयारी और नियम
चुनाव आयोग ने अपनी अधिसूचना में बताया कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगी। नामांकन पत्रों की जांच 22 अगस्त को होगी, जबकि उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। मतदान 9 सितंबर को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा और परिणाम उसी रात घोषित कर दिए जाएंगे। भारत के संविधान और 1952 तथा 1974 के राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम के तहत यह प्रक्रिया पूरी तरह से निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में होती है।
निर्वाचन प्रक्रिया का मकसद
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम की धारा 4(3) के अनुसार, अगर किसी संवैधानिक पदाधिकारी का कार्यकाल समाप्त होने वाला हो या असामान्य परिस्थिति में पद खाली होता है, तो निर्वाचन आयोग को कम से कम 60 दिन पहले अधिसूचना जारी करनी होती है ताकि नए पदाधिकारी का चुनाव समय रहते पूरा हो सके और संवैधानिक रिक्ति ना रहे।
निर्वाचक मंडल की स्थिति और वोटिंग पैटर्न
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित तथा मनोनीत सभी सांसद मिलकर करते हैं। इसमें वोटिंग प्रक्रिया पूरी तरह गुप्त होती है और पोस्टल-बैलट के माध्यम से होती है। इस बार लोकसभा में कुल 542 सदस्यों में से एनडीए के पास 293 सदस्य हैं जबकि इंडिया गठबंधन के पास 234 सांसद हैं। वहीं राज्यसभा में एनडीए को करीब 130 और इंडिया ब्लॉक को 79 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। कुल मिलाकर एनडीए के पास लगभग 423 सांसदों का समर्थन है जबकि इंडिया गठबंधन के पास 313 सांसदों का समर्थन है। इसके अलावा कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो किसी खेमे में शामिल नहीं हैं।
एनडीए और विपक्ष की तैयारी
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद एनडीए ने भी तेजी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है। खबर है कि भाजपा की ओर से कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के नामों पर विचार किया जा रहा है। भाजपा चाहती है कि इस पद के लिए कोई ऐसा चेहरा चुना जाए जो पार्टी के साथ-साथ सहयोगी दलों के लिए भी स्वीकार्य हो। वहीं इंडिया ब्लॉक भी एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है ताकि यह मुकाबला पूरी तरह एकतरफा ना हो जाए।
क्रॉस वोटिंग की संभावना और विपक्ष की रणनीति
उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान से होता है, ऐसे में क्रॉस वोटिंग की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता। इसी वजह से विपक्ष मान रहा है कि भले ही संख्या बल एनडीए के पक्ष में हो, लेकिन यह मुकाबला पूरी तरह से एकतरफा नहीं कहा जा सकता। विपक्ष अपनी एकजुटता को साबित करने के लिए उम्मीदवार उतारकर सत्ता पक्ष को चुनौती देना चाहता है। इससे विपक्ष का मनोबल भी ऊंचा रहेगा और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिहाज से भी यह कदम अहम माना जा रहा है।
निर्वाचन आयोग की सख्त निगरानी
निर्वाचन आयोग ने चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं। इसके तहत रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति, नामांकन जांच समिति और मतदान स्थल की तैयारी जैसे तमाम पहलुओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आयोग का प्रयास रहेगा कि मतदान और मतगणना में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो और परिणाम समय पर घोषित कर दिया जाए।
सियासी महत्व और भविष्य के संकेत
इस उपराष्ट्रपति चुनाव का सियासी महत्व काफी ज्यादा है। एक ओर सत्ता पक्ष अपनी ताकत को बनाए रखना चाहेगा तो वहीं विपक्ष इस चुनाव के माध्यम से अपनी एकजुटता और ताकत का संदेश देना चाहेगा। अगर विपक्ष एक मजबूत उम्मीदवार उतारता है और उसे अपेक्षित समर्थन भी मिल जाता है तो यह आगामी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए के लिए एक संकेतक बन सकता है।
उम्मीदवारों के नाम पर सस्पेंस बरकरार
फिलहाल दोनों खेमों की ओर से आधिकारिक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई है। हालांकि एनडीए के संभावित उम्मीदवारों में थावरचंद गहलोत और ओम माथुर के नाम चर्चा में हैं, लेकिन अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व द्वारा ही लिया जाएगा। दूसरी ओर, इंडिया ब्लॉक किस चेहरे को सामने लाता है, यह देखना भी दिलचस्प होगा।
आने वाले दिन होंगे बेहद अहम
कुल मिलाकर अगले कुछ सप्ताह भारतीय राजनीति के लिए काफी अहम होंगे। उपराष्ट्रपति पद के इस चुनाव ने राजनीतिक गलियारों में नई सरगर्मी ला दी है। देखना यह होगा कि क्या विपक्ष अपनी रणनीति में सफल होता है या सत्ता पक्ष अपनी ताकत से एक बार फिर अपनी पसंद का उम्मीदवार उपराष्ट्रपति बनवाने में कामयाब रहता है। दोनों ही पक्षों की रणनीतियां आने वाले दिनों में साफ हो जाएंगी और इसके बाद ही यह तय होगा कि इस चुनावी मुकाबले का समीकरण क्या रहने वाला है।

You may have missed