November 12, 2025

वाराणसी से खजुराहो के लिए शुरू हुई वंदे भारत सेवा, पर्यटकों का जाना होगा आसान, मिलेगी कई सुविधाएं

वाराणसी। काशी की पहचान केवल एक धार्मिक नगरी के रूप में नहीं, बल्कि अब यह देश की सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति की प्रतीक बनती जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन और कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने के प्रयासों के तहत वाराणसी से खजुराहो के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत की गई है। यह रेल सेवा उत्तर भारत के धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ने वाली एक नई कड़ी साबित होगी। इस ट्रेन के शुरू होने से न केवल पर्यटकों की यात्रा आसान होगी, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।
वंदे भारत एक्सप्रेस से बढ़ेगा धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन
वाराणसी, प्रयागराज, विंध्याचल, चित्रकूट और खजुराहो—ये सभी स्थल भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक परंपरा के प्रतीक हैं। अब इन सभी स्थानों को वंदे भारत एक्सप्रेस तेज, सुरक्षित और आरामदायक रेल मार्ग से जोड़ रही है। पहले विदेशी पर्यटक और देश के दूसरे हिस्सों से आने वाले यात्री हवाई सेवा की अनिश्चितता या धीमी रेल कनेक्टिविटी के कारण खजुराहो या चित्रकूट तक की यात्रा नहीं कर पाते थे। लेकिन अब यह स्थिति बदल जाएगी। वंदे भारत एक्सप्रेस से वाराणसी और खजुराहो के बीच यात्रा का समय लगभग 2 घंटे 40 मिनट तक घट जाएगा। इससे यात्रियों का समय बचेगा और वे कम समय में अधिक स्थलों का भ्रमण कर पाएंगे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा सीधा लाभ
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, यह रेल सेवा केवल पर्यटन नहीं, बल्कि एक “सांस्कृतिक-आर्थिक कॉरिडोर” के रूप में कार्य करेगी। अनुमान है कि अगर इस ट्रेन में औसतन 400 यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं और हर यात्री किराए के अतिरिक्त 2000 रुपये वाराणसी या आसपास के इलाकों में खर्च करता है, तो सालाना लगभग 28 करोड़ 80 लाख रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। यह रकम केवल स्थानीय व्यय को दर्शाती है। वास्तविक प्रभाव इससे कहीं व्यापक होगा, क्योंकि इसमें होटल, टैक्सी, नाविकों, गाइड, हस्तशिल्प और खाद्य उद्योग जैसे कई क्षेत्रों में होने वाली आय भी शामिल होगी। यूपी टूरिज्म गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने कहा, “मोदी-योगी सरकार की यह पहल बेहद सराहनीय है। पहले पर्यटक वाराणसी-खजुराहो की यात्रा इसलिए नहीं कर पाते थे क्योंकि ट्रेन और फ्लाइट की कनेक्टिविटी कमजोर थी। अब यात्रा आसान हो गई है, जिससे घरेलू और विदेशी पर्यटकों की संख्या में निश्चित रूप से इजाफा होगा।”
पर्यटन उद्योग को नई रफ्तार
नई वंदे भारत एक्सप्रेस से न केवल वाराणसी, बल्कि उससे जुड़े अन्य धार्मिक स्थलों को भी लाभ मिलेगा। प्रयागराज में संगम, कुंभ मेला, अक्षयवट और अकबर किला जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थल अब पर्यटकों के लिए अधिक सुलभ हो जाएंगे। विंध्याचल में माता विंध्यवासिनी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी, जिससे फूल, माला, प्रसाद, मिठाई और धार्मिक वस्त्र जैसे स्थानीय व्यवसायों को नई ऊर्जा मिलेगी। इसी तरह भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट अब पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षक बनेगा। स्थानीय गाइड, टैक्सी चालक, पूजा सामग्री विक्रेता और धर्मशालाओं की आय में वृद्धि की संभावना है। इससे न केवल स्थानीय व्यापार बढ़ेगा बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में संभावित उछाल
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस ट्रेन के संचालन से वाराणसी और आसपास के इलाकों की अर्थव्यवस्था में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि संभव है। यात्रियों के ठहराव से ईंधन, भोजन, हस्तशिल्प, वस्त्र और परिवहन पर खर्च होने वाला धन “मल्टीप्लायर इफेक्ट” उत्पन्न करेगा, जिससे पूरे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियाँ तेज होंगी। नए वंदे भारत में कुल आठ बोगियां हैं। यदि प्रतिदिन औसतन 400 यात्री यात्रा करते हैं, तो दैनिक स्तर पर लगभग 8 लाख रुपये का स्थानीय खर्च होगा। यह खर्च मासिक स्तर पर 2 करोड़ 40 लाख रुपये और सालाना करीब 28 करोड़ रुपये से अधिक का होगा। यह केवल प्रत्यक्ष खर्च है; अप्रत्यक्ष रूप से होटल, टैक्सी, ट्रैवल एजेंसियों और हस्तशिल्प उद्योगों को इससे कहीं अधिक लाभ होगा।
उत्तर प्रदेश के विकास की दिशा में अहम कदम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही यह लक्ष्य रखा है कि उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाया जाएगा। इस दिशा में वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी परियोजनाएँ “बूस्टर डोज़” का काम कर रही हैं। रेल, सड़क, जल और वायु कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने से प्रदेश के हर कोने तक आर्थिक गतिविधियाँ पहुँचेंगी। वाराणसी से खजुराहो वंदे भारत ट्रेन इसका एक सशक्त उदाहरण है, जो धार्मिक पर्यटन को आर्थिक विकास से जोड़ने का काम कर रही है।
विदेशी पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना
खजुराहो एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा है। अब वाराणसी के साथ इसकी सीधी कनेक्टिविटी होने से विदेशी सैलानियों के लिए यह यात्रा और भी आसान हो जाएगी। पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में वाराणसी, प्रयागराज और चित्रकूट जैसे धार्मिक स्थलों पर विदेशी यात्रियों की संख्या में बड़ी वृद्धि होगी। इससे होटल इंडस्ट्री, एयरलाइंस, रेलवे और स्थानीय बाजार सभी को आर्थिक लाभ होगा। वाराणसी से खजुराहो के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस का परिचालन केवल एक ट्रेन सेवा की शुरुआत नहीं, बल्कि उत्तर भारत के पर्यटन और आर्थिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह ट्रेन वाराणसी, प्रयागराज, विंध्याचल, चित्रकूट और खजुराहो जैसे धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ते हुए पर्यटन उद्योग में नई जान फूंकेगी। साथ ही, यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने में एक मील का पत्थर साबित होगी। आगामी वर्षों में जब यह ट्रेन अपने पूर्ण सामर्थ्य के साथ चलेगी, तो न केवल यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन, रोजगार और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

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