अमीरों की सवारी है वन्दे भारत, 12 किमी के लिए 705 रु. का किराया नहीं दे सकते गरीब : राजीव रंजन

- किराया घटा कर गरीबों को भी वन्दे भारत चढ़ने का अधिकार दे केंद्र सरकार
पटना। वन्दे भारत ट्रेन को अमीरों की सवारी बताते हुए JDU के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि अपने पूंजीपति मित्रों और अमीरों की गुलाम बनी हुई मोदी सरकार देश की आम गरीब जनता को किस तरह से ठगती है उसका साक्षात उदहारण वन्दे भारत ट्रेनें हैं। इन ट्रेनों को मोदी सरकार बड़ी उपलब्धि बता कर अपनी पीठ ठोक रही है लेकिन हकीकत में इनका किराया इतना अधिक है कि गरीब, मजदूर व किसान इसमें चढ़ने का सोच भी नहीं सकते। केंद्र सरकार को यदि वास्तव में इसे भारत के विकास का प्रतीक बनाना चाहती है तो उसे इसका किराया घटा कर गरीबों को भी इसमें चढ़ने का हक देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि पटना-हावड़ा रूट पर अभी हालिया शुरू हुए ट्रेन का किराया ही देखें तो यात्री को पटना से पटना साहिब स्टेशन तक महज 12 किमी की दूरी तय करने के लिए 380 से 705 रु की भारी-भरकम राशि खर्च करनी होगी। वहीं मोकामा जाने के लिए उन्हें 430 से 980 रु। ढीले करने होंगे। यानी इसमें यात्रा करने के लिए आम गरीब की महीने भर की कमाई लग जायेगी, जो उनके लिए मुमकिन ही नहीं। यह दिखाता है कि BJP द्वारा वन्दे भारत का मनाया जा रहा जश्न सिर्फ आम आदमी की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश है।

वास्तव में आम लोगों को इससे कोई फायदा मिलने वाला नहीं। जदयू महासचिव ने आगे कहा कि हकीकत में केंद्र सरकार को यदि आम जनता की थोड़ी सी भी चिंता होती तो वह वन्दे भारत जैसी अमीरों की सवारी पर सैंकड़ों करोड़ खर्चा करने के साथ-साथ रेलवे ट्रैक्स और ट्रेनों की संख्या और उनकी सुविधाएं बढ़ाने तथा रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने पर विशेष ध्यान दे रही होती। इससे गर्मियों की छुट्टी, होली, दिवाली व छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर आम लोगों को लाखों की संख्या में अवैध रूप से ट्रेन के डिब्बों, फर्श पर अथवा टॉयलेट में बैठकर यात्रा करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता। भयंकर ट्रेन हादसों को होने से रोका जा सकता था। लेकिन, इन सभी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी कर वंदेभारत जैसी अमीरों के लिए महंगी ट्रेन चलाना, मोदी सरकार द्वारा मध्यमवर्ग के साथ की जा रही ज्यादती को दर्शाता है। भाजपा से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि वंदे भारत की ख़ुशी में लहालोट हुए जा रहे भाजपाइयों को यह बताना चाहिए कि वह किसकी वन्दना कर रहे हैं, अमीरों की या गरीबों की? उन्हें बताना चाहिए कि बिहार के गरीब-गुरबों को इससे क्या फायदा मिलने वाला है? उन्हें बताना चाहिए खुद उनके कितने कार्यकर्ता इस ट्रेन का किराया भरने में सक्षम हैं?