December 5, 2025

यूनिसेफ की प्रमुख वैश्विक रिपोर्ट में चेतावनी : लिंग मानदंड लड़कियों और लड़कों के मानसिक स्वास्थ्य को कर सकते हैं प्रभावित

* बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर चुप्पी तोडना जरूरी : नफीसा बिंते शफीक
* समय रहते मानसिक रोग की पहचान, काउंसलिंग, उपचार व डाटा संकलन पर निवेश को देनी होगी प्रथमिकता


पटना। बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव को लेकर व्यापक चिंता है। लिंग मानदंड लड़कियों और लड़कों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। अधिक असुरक्षित होने के कारण लड़कियों को काम, शिक्षा और परिवार के साथ-साथ वैवाहिक हिंसा के जोखिम के बारे में प्रतिबंधात्मक रूढ़ियों का सामना करना पड़ सकता है। ये चेतावनी यूनिसेफ की प्रमुख वैश्विक रिपोर्ट- ‘द स्टेट आफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2021: आन माई माइंड: प्रोमोटिंग, प्रोटेक्टिंग एंड केयरिंग फॉर चिल्ड्रेन्स मेंटल हेल्थह्ण में दी गई है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस और अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर यूनिसेफ के वैश्विक रिपोर्ट को रविवार को एक आनलाइन कार्यक्रम में सुश्री नफीसा बिंते शफीक, राज्य प्रमुख, यूनिसेफ, बिहार सरकार के अधिकारी और किशोर-किशोरियों द्वारा जारी किया गया। इस दौरान बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक संजय कुमार सिंह, समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार, एसएचएसबी के अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक केशवेंद्र कुमार, राज्य कार्यक्रम अधिकारी, बाल स्वास्थ्य के डॉ. विजय प्रकाश राय, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के मनोरोग विभाग के डॉ. राजेश कुमार, यूनिसेफ के कार्यक्रम प्रबंधक शिवेंद्र पांडेय एवं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की अभिलाषा झा आदि मौजूद रहे। एक विशेष सत्र में 4 किशोरों ने मानसिक स्वास्थ्य से निपटने के अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए।
अपने संबोधन में सुश्री नफीसा ने स्वास्थ्य बजट में मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवंटन बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में इंडियन जर्नल आफ साइकेट्री की रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल स्वास्थ्य बजट का केवल 0.05 फीसदी मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है। इस संदर्भ में लैंगिक असमानता को दूर करना भी काफी महत्वपूर्ण है। आगे उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित विश्वसनीय आंकड़ों का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है। यूनिसेफ बच्चों और किशोरों के साथ-साथ देखभाल करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए बिहार सरकार और सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही हमें निवेश, प्रोग्रामिंग और नीतियों में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
निदेशक राज कुमार ने कहा कि हमने निम्हंस और यूनिसेफ के सहयोग से एक मनो-सामाजिक मॉड्यूल विकसित किया है। प्रत्येक बाल गृह में एक परामर्शदाता की नियुक्ति की गई है और उन्हें समय-समय पर क्षमता वर्धन प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। अब तक बाल गृह में रहने वाले 3,000 से अधिक बच्चों को मनो-सामाजिक सहायता प्रदान की गई है। हालांकि, अभी भी कई और चीजें करने की जरूरत है। हम स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और यूनिसेफ की मदद से मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हम कमजोर बच्चों के लिए नियुक्त किए गए मनोवैज्ञानिकों के कार्यकाल को भी बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। वेबिनार का संचालन यूनिसेफ बिहार की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने किया।

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