सीतामढ़ी में सदर अस्पताल में विचाराधीन कैदी की मौत, प्रशासन में हड़कंप, परिजनों ने लगाया आरोप
सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले में एक विचाराधीन बंदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिससे जेल प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक हड़कंप मच गया। यह घटना न केवल जेल व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों ने मामले को और भी संवेदनशील बना दिया है।
गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की प्रक्रिया
मृतक की पहचान पकटोला गांव, डुमरा थाना निवासी 35 वर्षीय मुकेश्वर राय के रूप में हुई है। उसे 17 मई को डुमरा थाना की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जानकारी के अनुसार मुकेश्वर 2023 से फरार था और उसके खिलाफ वारंट जारी था। गिरफ्तारी के बाद उसे 18 मई को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज की प्रक्रिया
जेल अधीक्षक मनोज कुमार सिन्हा के अनुसार, मुकेश्वर को जेल लाए जाने के कुछ समय बाद ही उसकी तबीयत खराब हो गई थी। उसे पहले जेल परिसर में ही स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन मंगलवार दोपहर में स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टरों की सलाह पर उसे सदर अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। कारा चिकित्सक के अनुसार वह एक पुराना शराबी (क्रोनिक अल्कोहलिक) था, और इसी वजह से उसकी हालत गंभीर हो गई थी। इलाज के दौरान सदर अस्पताल में ही उसकी मौत हो गई।
परिजनों का आक्रोश और आरोप
बंदी की मौत की खबर मिलते ही उसके परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो उठे। पहले वे जेल के मुख्य द्वार पर पहुंचे और वहां जमकर हंगामा किया। परिजनों ने जेल प्रशासन और पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस द्वारा समझाने के बाद वे सदर अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने दोबारा प्रदर्शन किया। परिजनों का कहना है कि मुकेश्वर की मौत प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और मारपीट का नतीजा है। उन्होंने मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच की प्रक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। सीएस (मुख्य चिकित्सक) के निर्देश पर तीन सदस्यीय मेडिकल टीम गठित की गई, जिसमें डॉ. कुणाल गौतम, डॉ. अमरनाथ यादव और डॉ. सौरव शामिल हैं। इन डॉक्टरों ने वीडियोग्राफी के बीच शव का पोस्टमार्टम किया। एसडीपीओ सदर रामकृष्ण ने बताया कि प्रारंभिक जांच में मौत की वजह तबीयत खराब होना प्रतीत होती है। मृतक के पैर में कुछ चोट के निशान हैं, जिन पर अलग-अलग राय सामने आ रही है। उन्होंने परिजनों को आश्वासन दिया कि जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी और अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा के इंतजाम और पुलिस बल की तैनाती
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को सदर अस्पताल और जेल परिसर में तैनात किया गया। बीएमपी (बिहार मिलिट्री पुलिस) से महिला बल भी बुलाया गया ताकि महिलाओं की मौजूदगी में किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो। पुलिस प्रशासन लगातार लोगों को समझा-बुझाकर स्थिति सामान्य करने का प्रयास करता रहा।
न्याय और पारदर्शिता की मांग
मुकेश्वर राय की मौत ने एक बार फिर विचाराधीन बंदियों की सुरक्षा और जेल प्रशासन की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं। परिजनों का आक्रोश और उनका आरोप इस बात की ओर इशारा करता है कि जेल के भीतर हो रही गतिविधियों की निगरानी में पारदर्शिता की जरूरत है। प्रशासन ने फिलहाल जांच का भरोसा दिलाया है, लेकिन अंतिम सच तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट के बाद ही सामने आ पाएगा। तब तक न्याय की उम्मीद में परिजन और ग्रामीण प्रशासन की कार्रवाई पर निगाहें टिकाए हुए हैं।


