December 8, 2025

उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता कानून, सीएम धामी ने यूसीसी वेबसाइट पोर्टल का लोकार्पण

देहरादून। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी)  सोमवार से लागू हो गया है। मुख्यमंत्री आवास में सीएम पुष्कर सिंह धामी इसका ऐलान किया। यह कार्यक्रम सीएम आवास के मुख्य सेवक सदन में चल रहा है। सीएम धामी ने कहा कि यह बहुत भावुक क्षण है। हमने 3 साल पहले प्रदेश की जनता से जो वादा किया था उसे पूरा लिया। यूसीसी किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है। इसका उद्देश्य किसी को टारगेट करना नहीं है। सभी को समान अधिकार देना है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने समान नागरिक संहिता उत्तराखंड- 2024 को लागू किए जाने के लिए नियमावली और पोर्टल का लोकार्पण किया। यह पोर्टल आम जनता के लिए खोल दिया गया है। लोग लॉग इन कर सकते हैं। उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में एकरूपता आएगी। राज्य में सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार होंगे और दायित्व भी सुनिश्चित हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन चुका है, जहां यह कानून प्रभावी हो गया है। बेटे और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। इससे फर्क नहीं पड़ेगा कि वह किस कैटेगरी के हैं। अगर किसी व्यक्ति की मौत जाती है तो यूनिफॉर्म सिविल कोड उस व्यक्ति की संपत्ति को पति/पत्नी और बच्चों में समान रूप से वितरण का अधिकार देता है। इसके अलावा उस व्यक्ति के माता-पिता को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। पिछले कानून में ये अधिकार केवल मृतक की मां को मिलता था। पति-पत्नी को तलाक तभी मिलेगा, जब दोनों के आधार और कारण एक जैसे होंगे। केवल एक पक्ष के कारण देने पर तलाक नहीं मिल सकेगा। उत्तराखंड में रहने वाले कपल अगर लिव इन में रह रहे हैं तो उन्हें इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि ये सेल्फ डिक्लेशन जैसा होगा, लेकिन इस नियम से अनुसूचित जनजाति के लोगों को छूट होगी। यदि लिव इन रिलेशनशिप से कोई बच्चा पैदा होता है तो उसकी जिम्मेदारी लिव इन में रहने वाले कपल की होगी। दोनों को उस बच्चे को अपना नाम भी देना होगा। इससे राज्य में हर बच्चे को पहचान मिलेगी। उत्तराखंड गोवा के बाद पहला राज्य बनेगा जहां यूसीसी लागू होगा। भले ही गोवा में पहले से ही यूसीसी लागू है, लेकिन वहां इसे पुर्तगाली सिविल कोड के तहत लागू किया गया था। उत्तराखंड आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य होगा।

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