पटना में दो कुख्यात अपराधी गिरफ्तार, हत्या के मामले में एक साल से थे फरार, रंगदारी पर किया था मर्डर
पटना। राजधानी पटना के पीरबहोर इलाके में चर्चित होटल कारोबारी शकील अहमद मल्लिक हत्याकांड का एक बार फिर से राजफाश हुआ है। लगभग एक साल बाद इस मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। इस हत्याकांड में शामिल दो फरार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों बदमाशों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित था और वे पिछले एक साल से फरारी काट रहे थे। पुलिस के अनुसार, इन दोनों की गिरफ्तारी से पूरे गिरोह की साजिश का खुलासा हो गया है, जिसने 20 अक्टूबर 2024 को इस हत्या को अंजाम दिया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शकील मल्लिक की हत्या की साजिश रंगदारी के विवाद से जुड़ी थी। कुतुबुद्दीन लेन निवासी शकील मल्लिक होटल व्यवसाय से जुड़े थे और हाल ही में अपने परिवार के लिए एक नया मकान बनवा रहे थे। इसी दौरान स्थानीय अपराधी डीडी ने उनसे 20 लाख रुपये की रंगदारी की मांग की थी। बताया जाता है कि मल्लिक ब्रदर्स ने दबाव में आकर पहले 10 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया था, लेकिन जब डीडी ने बाकी बचे 10 लाख रुपये की मांग की और मल्लिक ने देने से इनकार किया, तो इसी बात से नाराज होकर हत्या की साजिश रची गई। पुलिस जांच में सामने आया है कि हत्या के दिन शकील मल्लिक अपने निर्माणाधीन मकान पर मौजूद थे। तभी बाइक सवार तीन बदमाशों ने पहुंचकर उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। मल्लिक को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हमले के बाद हत्यारे मौके से फरार हो गए। घटना स्थल पर गोलियों के कई खोखे बरामद किए गए थे। हत्या के तुरंत बाद पुलिस ने इस केस की जांच शुरू की और इस दौरान छह लोगों की संलिप्तता सामने आई। इनमें डीडी, मोहम्मद सोनू, मनीष पगला, इम्तियाज उर्फ बिक्की, सैफी, और एक अन्य आरोपी का नाम सामने आया। फिलहाल मुख्य आरोपी डीडी, सोनू और मनीष पगला जेल में बंद हैं, जबकि सैफी और इम्तियाज अब तक फरार थे। पुलिस ने लगातार छापेमारी अभियान चलाया और हाल ही में दोनों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पूछताछ में गिरफ्तार बदमाशों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। सैफी ने कबूल किया कि हत्या की रात उसने दो पिस्टल इम्तियाज उर्फ बिक्की और सोनू को दी थी। इन्हीं हथियारों से तीनों ने मिलकर मल्लिक पर गोलियां चलाईं थीं। घटना के बाद आरोपी अलग-अलग जगहों पर छिप गए थे ताकि पुलिस को चकमा दे सकें। पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के बाद अब यह दावा किया है कि हत्या की पूरी साजिश की परतें लगभग खुल चुकी हैं। पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि डीडी का नाम पीरबहोर और कदमकुआं इलाके में खौफ का पर्याय बन चुका था। उसके खिलाफ पहले भी हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी और आर्म्स एक्ट जैसे कई गंभीर मामले दर्ज हैं। बताया जाता है कि जेल में बंद होने के बावजूद वह अपने गिरोह के जरिए इलाके में आतंक फैलाता रहता था। कुछ महीने पहले उसने बेऊर जेल से ही एक सरकारी पदाधिकारी को फोन कर रंगदारी मांगी थी। उसने पदाधिकारी से कहा था कि उनके निर्माणाधीन घर के ग्राउंड फ्लोर में एक दुकान उसे दे दी जाए, नहीं तो अंजाम भुगतना पड़ेगा। इस वारदात के लिए उसने अपने भतीजे के मोबाइल नंबर से संपर्क किया था। इस मामले में भी उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शकील मल्लिक हत्याकांड की जांच अब अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा, “दोनों इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी हमारे लिए बड़ी सफलता है। अब तक मिली जानकारियों से यह स्पष्ट है कि हत्या रंगदारी के पैसों को लेकर हुई थी। हमने आरोपियों से हथियार बरामद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।” स्थानीय लोगों का कहना है कि डीडी और उसके गिरोह का इलाके में काफी प्रभाव था। वह अकसर बिल्डरों, व्यवसायियों और मकान बनाने वालों से पैसे की मांग करता था। मल्लिक की हत्या ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी। लोगों का कहना है कि हत्या के बाद लंबे समय तक अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर रहे, जिससे आम जनता में असुरक्षा की भावना बढ़ गई थी। अब जब पुलिस ने दोनों फरार बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है, तो पीरबहोर इलाके के लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, स्थानीय लोगों की मांग है कि पुलिस न केवल इस मामले में दोषियों को सजा दिलाए बल्कि ऐसे अपराधियों के नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए। पुलिस की मानें तो इस केस में जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी और अभियुक्तों को कड़ी सजा दिलाने के लिए अदालत में पुख्ता साक्ष्य पेश किए जाएंगे। एक साल पुराने इस हत्या कांड में इनामी बदमाशों की गिरफ्तारी से न केवल पुलिस की साख बढ़ी है बल्कि लोगों के बीच यह संदेश गया है कि कानून के शिकंजे से कोई भी अपराधी लंबे समय तक बच नहीं सकता।


