पटना हाईकोर्ट में दो नए जजों की जल्द होगी नियुक्ति, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की बैठक में की गई अनुशंसा

पटना। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 1 जुलाई 2025 को एक अहम बैठक आयोजित की, जिसमें देश की विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर चर्चा हुई। इसी कड़ी में कॉलेजियम ने पटना हाईकोर्ट के लिए दो नए जजों के नामों की अनुशंसा की है। अधिवक्ता अजीत कुमार और प्रवीण कुमार को न्यायमूर्ति के रूप में नियुक्त किए जाने की सिफारिश की गई है। यह निर्णय उच्च न्यायपालिका में लम्बे समय से चली आ रही रिक्तियों और कार्यभार की समस्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
जजों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से थी मांग
पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही थी, जिससे लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। वकीलों और न्यायिक विशेषज्ञों की ओर से कई बार यह मांग उठाई गई कि हाईकोर्ट में रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए, ताकि न्याय में देरी की समस्या को कम किया जा सके। इस मांग को देखते हुए कॉलेजियम द्वारा दो योग्य और अनुभवी अधिवक्ताओं के नाम प्रस्तावित किए गए हैं।
न्यायिक प्रणाली को मिलेगा नया सशक्त आधार
अजीत कुमार और प्रवीण कुमार, दोनों ही अधिवक्ता अपने क्षेत्र में लंबे समय से कार्यरत हैं और उन्होंने विभिन्न संवैधानिक और नागरिक मामलों में अदालती अनुभव अर्जित किया है। इनकी नियुक्ति से पटना हाईकोर्ट में न्यायिक प्रक्रिया को गति मिलेगी और लोगों को शीघ्र न्याय मिलने की संभावनाएं बढ़ेंगी। विशेष रूप से उन मामलों में, जो वर्षों से लंबित हैं, उनमें सुनवाई की रफ्तार बढ़ सकती है।
अब केंद्र की मंजूरी का इंतजार
कॉलेजियम की अनुशंसा के बाद अगला कदम केंद्र सरकार के पास है। नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए केंद्र को इन नामों को मंजूरी देनी होगी। इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी होगी। उम्मीद की जा रही है कि यह प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी, ताकि न्यायिक कार्यों में आ रही बाधाएं दूर की जा सकें।
पटना हाईकोर्ट की मौजूदा स्थिति
पटना हाईकोर्ट की स्थापना 1916 में हुई थी और यह बिहार राज्य की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है। पिछले कुछ वर्षों में यहां न्यायाधीशों की संख्या में कमी और कार्यभार की अधिकता ने अदालत की कार्यक्षमता को प्रभावित किया है। वर्तमान में हाईकोर्ट में स्वीकृत पदों की तुलना में कार्यरत न्यायाधीशों की संख्या कम है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर दबाव बना हुआ है। इस पृष्ठभूमि में दो नए जजों की नियुक्ति एक सकारात्मक पहल मानी जा रही है।
न्यायपालिका में सुधार की दिशा में एक कदम
इस निर्णय को न्यायिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। न्याय में देरी भारतीय न्याय व्यवस्था की एक बड़ी चुनौती रही है और सुप्रीम कोर्ट का यह प्रयास बताता है कि अब न्यायपालिका भी इस समस्या को गंभीरता से ले रही है। नए न्यायाधीशों की नियुक्ति से न केवल पटना हाईकोर्ट को राहत मिलेगी, बल्कि यह आम नागरिकों में न्याय के प्रति विश्वास भी मजबूत करेगा। पटना हाईकोर्ट के लिए दो नए जजों की नियुक्ति की अनुशंसा राज्य की न्यायिक प्रणाली के लिए एक राहत भरी खबर है। यह कदम न केवल लंबित मामलों के निपटारे को गति देगा बल्कि न्यायिक ढांचे की मजबूती में भी सहायक होगा। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार की औपचारिक स्वीकृति और शपथ ग्रहण प्रक्रिया पर टिकी हैं।

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