पटना में गंगा नदी में डूबे दो बच्चे, एक ने खुद को बचाया, दूसरा लापता
पटना। मालसलामी थाना क्षेत्र में शनिवार को गंगा नदी में स्नान के दौरान हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में दो स्कूली बच्चे नदी में डूब गए, जिनमें से एक बच्चा अपनी जान बचाने में कामयाब रहा, जबकि दूसरा अब तक लापता है। स्थानीय प्रशासन, एसडीआरएफ और गोताखोरों की टीम लापता बच्चे की तलाश कर रही है। यह हादसा नुरदिगंज गंगा घाट पर हुआ, जहां दो दोस्त, छोटू और बिट्टू, गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे। ये दोनों बच्चे छोटी नगला आदर्श कॉलोनी के रहने वाले थे। स्नान के दौरान दोनों बच्चे गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। इस दौरान बिट्टू ने खुद को किसी तरह बचा लिया और छोटू को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वह असफल रहा। छोटू पानी में डूब गया और तब से लापता है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे। लापता बच्चे की तलाश के लिए प्रशासन ने एसडीआरएफ की टीम और स्थानीय गोताखोरों को तैनात किया है। हादसे के तुरंत बाद पुलिस और स्थानीय लोग घटनास्थल पर जुट गए। पुलिस ने स्थिति का जायजा लिया और एसडीआरएफ की टीम को बुलाया। गोताखोरों ने गंगा नदी में कई जगह तलाश की, लेकिन अब तक लापता बच्चे का कोई सुराग नहीं मिला है। स्थानीय लोगों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और प्रशासन से गंगा घाटों पर सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। उनका कहना है कि घाट पर उचित सुरक्षा व्यवस्था का अभाव है, जिससे इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं। लापता बच्चे के पिता दीपक ने घटना के बारे में बताया कि उनके बेटे छोटू और बिट्टू गंगा स्नान करने गए थे। छोटू के डूबने की खबर सुनकर परिवार सदमे में है। परिवार के लोग घाट पर पहुंचकर बच्चे के मिलने की आस में इंतजार कर रहे हैं। यह घटना गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है। गंगा नदी का जलस्तर गहरा और तेज होने के कारण वहां स्नान करना जोखिम भरा होता है। खासकर बच्चे, जो इस खतरे को नहीं समझ पाते, अक्सर हादसों का शिकार हो जाते हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। लाइफगार्ड, चेतावनी संकेत और सुरक्षा बैरिकेड जैसे उपायों का घाटों पर अभाव है। इस घटना के बाद एसडीआरएफ की टीम तुरंत हरकत में आई और लापता बच्चे की खोजबीन शुरू की। एसडीआरएफ ने गंगा के गहरे पानी और आस-पास के इलाकों में बच्चे की तलाश की। हालांकि, छोटू का कोई पता नहीं चल सका है। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि गंगा घाटों पर सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। प्रशासन को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए। घाटों पर गहरे पानी और तेज धाराओं की चेतावनी के लिए संकेतक और बैरिकेड लगाए जाने चाहिए। घाटों पर प्रशिक्षित लाइफगार्ड की उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिए। गंगा नदी में स्नान के खतरों को लेकर स्थानीय लोगों, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों को जागरूक करना चाहिए। घाटों की निगरानी के लिए एक टीम गठित करनी चाहिए जो यह सुनिश्चित करे कि स्नान के दौरान किसी प्रकार का खतरा न हो। गंगा नदी में स्नान के दौरान हुई यह घटना पूरे पटना शहर को झकझोर गई है। यह घटना घाटों पर सुरक्षा उपायों की कमी और जागरूकता के अभाव को दर्शाती है। प्रशासन और स्थानीय निकायों को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को टाला जा सके। घटना के बाद, हर किसी की नजरें अब प्रशासन और बचाव कार्यों पर टिकी हुई हैं। छोटू के परिवार और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि वह जल्द सुरक्षित मिलेगा। इस तरह की घटनाओं से सबक लेकर गंगा घाटों को सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस प्रयास करना अब अत्यंत आवश्यक है।


