प्रदेश में शिक्षकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू, 41689 शिक्षकों ने दिया आवेदन, जल्द मिलेगा नया विद्यालय
पटना। बिहार सरकार ने लंबे समय से लंबित पड़े शिक्षकों के अंतर-जिला स्थानांतरण की प्रक्रिया को आखिरकार शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है। विभाग का कहना है कि इस बार की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित तरीके से की जा रही है ताकि किसी भी शिक्षक के साथ भेदभाव न हो और विद्यालयों में शिक्षक वितरण संतुलित तरीके से हो सके।
आवेदन प्रक्रिया और शिक्षकों की संख्या
शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन 5 सितंबर से 13 सितंबर 2025 तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल के माध्यम से लिए गए। इस दौरान कुल 41,689 शिक्षकों ने अंतर-जिला स्थानांतरण के लिए आवेदन किया। इनमें 17,960 महिला और 23,729 पुरुष शिक्षक शामिल हैं। श्रेणीवार आंकड़े भी साफ बताते हैं कि विभिन्न स्तर के शिक्षक बड़ी संख्या में ट्रांसफर चाहते थे। नियमित शिक्षक वर्ग से 617, विशिष्ट शिक्षक वर्ग से 12,370 और विद्यालय अध्यापक (बीपीएससी) से 28,702 शिक्षकों ने आवेदन किया। इससे स्पष्ट है कि यह मुद्दा लंबे समय से शिक्षकों की प्राथमिकता में था।
कक्षा-वार ट्रांसफर की स्थिति
शिक्षकों द्वारा किए गए आवेदन कक्षा-वार भी बंटे हुए हैं। 1 से 5 कक्षा तक पढ़ाने वाले 17,382 शिक्षकों ने स्थानांतरण की मांग की है। 6 से 8 तक के लिए 6,600, 9 से 10 के लिए 8,341 और 11 से 12 तक के लिए 9,366 शिक्षकों ने आवेदन किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक शिक्षक अपने पदस्थापन स्थल को बदलने की इच्छा रखते हैं।
विकल्प प्रणाली और आवंटन की प्रक्रिया
शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को ट्रांसफर के लिए तीन विकल्प देने की सुविधा दी थी। यानी शिक्षक अपनी पसंद के तीन जिलों का चयन कर सकते थे। शिक्षा मंत्री के अनुसार, लगभग 24,600 शिक्षकों को उनके द्वारा दिए गए तीन विकल्पों में से किसी एक जिले में स्थानांतरण किया जा रहा है। इनमें से लगभग 9,900 महिला और 14,700 पुरुष शिक्षक शामिल हैं। विशेष रूप से दिव्यांग श्रेणी के शिक्षकों पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। 92 प्रतिशत महिला और 83 प्रतिशत पुरुष दिव्यांग शिक्षकों को उनके विकल्प वाला जिला आवंटित कर दिया गया है। यह कदम इस प्रक्रिया की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।
जिन शिक्षकों का ट्रांसफर नहीं हो सका
करीब 17,000 शिक्षकों को इस बार उनके विकल्प वाले जिलों में स्थानांतरण नहीं मिल सका। इसकी वजह विषयवार और कक्षावार रिक्तियों का अभाव बताया गया है। ऐसे शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने नई व्यवस्था बनाई है। अब इन शिक्षकों को 23 से 28 सितंबर 2025 तक ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर तीन नए जिलों (पहले दिए गए जिलों को छोड़कर) चुनने का अवसर दिया जाएगा। इसके बाद जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति छात्र-शिक्षक अनुपात और विषयवार रिक्तियों के आधार पर विद्यालय आवंटित करेगी।
पारदर्शिता और संतुलन पर जोर
शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। सभी शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से की जा रही है, जिससे किसी तरह की सिफारिश या पक्षपात की संभावना न रहे। सरकार का मानना है कि इस प्रक्रिया से न केवल शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी, बल्कि विभिन्न जिलों और विद्यालयों में शिक्षकों की संतुलित उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। इससे छात्रों को बेहतर शिक्षा सुविधा मिलेगी और विद्यालयों में शिक्षण कार्य की गुणवत्ता भी सुधरेगी। बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई शिक्षकों के स्थानांतरण की यह पहल न केवल एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि शिक्षकों की समस्याओं को समझते हुए उन्हें समाधान देने का प्रयास भी है। हजारों शिक्षकों के लिए यह अवसर राहत की तरह है, वहीं विद्यालयों के लिए यह कदम नई ऊर्जा लेकर आएगा। अंतर-जिला स्थानांतरण से जहां एक ओर शिक्षकों को अपने अनुकूल जिले में काम करने का मौका मिलेगा, वहीं दूसरी ओर विद्यालयों में आवश्यकतानुसार शिक्षकों की उपलब्धता बढ़ेगी। कुल मिलाकर यह प्रक्रिया राज्य के शिक्षा तंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।


