बिहार में प्राइवेट सुरक्षा गार्ड के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य, नई सुरक्षा अभिकरण नियमावली लागू
पटना। बिहार सरकार ने राज्य में निजी सुरक्षा गार्डों की बहाली और कामकाज को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। निजी सुरक्षा सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से ‘निजी सुरक्षा अभिकरण नियमावली 2025’ को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है। यह नियमावली गृह विभाग द्वारा जारी की गई है और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
गार्ड बहाली के लिए अब प्रशिक्षण जरूरी
इस नई व्यवस्था के तहत अब राज्य में बिना प्रशिक्षण और तय शारीरिक मापदंड को पूरा किए किसी भी व्यक्ति को निजी सुरक्षा गार्ड के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकेगा। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि जिन व्यक्तियों की ड्यूटी सुरक्षा से जुड़ी होती है, वे मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से सक्षम हों। यह नियमावली व्यक्तिगत सुरक्षा, संस्थानों, शादियों और अन्य आयोजनों में सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति के लिए समान रूप से लागू होगी।
प्रशिक्षण की अवधि और प्रकृति
अब सामान्य अभ्यर्थियों को निजी सुरक्षा गार्ड बनने के लिए 20 दिन का अनिवार्य प्रशिक्षण लेना होगा। इसमें 100 घंटे की क्लासरूम ट्रेनिंग और 60 घंटे की फील्ड ट्रेनिंग शामिल होगी। वहीं, भूतपूर्व सैनिकों और पूर्व पुलिसकर्मियों के लिए प्रशिक्षण की अवधि थोड़ी कम रखी गई है। उन्हें केवल 7 दिन का प्रशिक्षण लेना होगा, जिसमें 40 घंटे का शिक्षण और 16 घंटे का फील्ड प्रशिक्षण शामिल है।
शारीरिक मापदंडों में कड़ाई
गार्ड बनने के लिए शारीरिक योग्यताओं का स्पष्ट निर्धारण भी इस नियमावली में किया गया है। पुरुष गार्ड के लिए न्यूनतम कद 160 सेंटीमीटर और सीना 80 सेंटीमीटर अनिवार्य किया गया है। महिला गार्डों के लिए न्यूनतम कद 150 सेंटीमीटर तय किया गया है, लेकिन सीना माप की अनिवार्यता नहीं होगी। इसके अलावा, गार्डों को नेत्र और श्रवण दोष से मुक्त होना चाहिए और छह मिनट में एक किलोमीटर दौड़ने की क्षमता होनी चाहिए। यह परीक्षण उनकी फिटनेस और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना गया है।
स्वास्थ्य परीक्षण भी जरूरी
गार्डों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर साल उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी अनिवार्य किया गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे लगातार ड्यूटी के योग्य हैं और किसी प्रकार की बीमारी या कमजोरी से पीड़ित नहीं हैं। यह कदम सुरक्षा सेवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया है।
निजी सुरक्षा एजेंसियों पर सख्ती
अब राज्य में काम कर रही सभी निजी सुरक्षा एजेंसियों को इन नए नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। अगर कोई एजेंसी इन मापदंडों का उल्लंघन करती है, तो उसे सुरक्षा सेवा का लाइसेंस नहीं मिलेगा। साथ ही, अगर कोई एजेंसी नियम तोड़ती पाई जाती है, तो उस पर कार्रवाई भी की जाएगी। इससे राज्य में फर्जी और अव्यवस्थित एजेंसियों की संख्या में कमी आएगी और आम जनता को बेहतर सुरक्षा सेवा उपलब्ध हो सकेगी।
सरकार की मंशा और आगे की राह
सरकार का मानना है कि निजी सुरक्षा सेवाओं की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है, ऐसे में इन सेवाओं को नियंत्रित और व्यवस्थित करना आवश्यक हो गया है। यह नियमावली गार्डों के पेशेवर विकास के साथ-साथ आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी काम करेगी। इसके लागू होने से न केवल सुरक्षा सेवाओं का स्तर सुधरेगा, बल्कि योग्य और प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस फैसले को राज्य के सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां निजी सुरक्षा की जरूरत अधिक होती है।


