पटना एम्स में मनाया गया थायराइड जागरूकता मंथ : उचित समय पर जांच और उपचार से किया जा सकता है नियंत्रित

फुलवारीशरीफ (अजीत)। पटना एम्स में शनिवार को न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग द्वारा लोगों में थायराइड ग्लैंड के बारे में जागरूकता बढ़ाने हेतु थायराइड अवेयरनेस दिवस मनाया गया। इस मौके पर निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने बताया कि थायराइड के मरीज दिनों दिन बढ़ रहे हैं और अच्छी बात यह है कि उचित समय पर थायराइड की जांच और उपचार द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है। किसी भी मरीज में थायराइड की बीमारी का पता यदि समय रहते विशेषज्ञों की देखरेख में किया जाए और अल्ट्रासाउंड तथा नाभिकिय चिकित्सा के थायराइड स्कैन द्वारा सटीक जांच कर पुूर्णत: ठीक की जा सकती है। यहां तक की प्रारंभिक अवस्था के थायराइड नोडयूल में कैंसर पाए जाने पर भी सर्जरी तथा रेडियो आयोडीन थेरेपी द्वारा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं।
एम्स के डीन प्रो. डॉ. उमेश भदानी ने इस मौके पर लोगों को थायराइड से होने वाले विकारों के प्रति जागरूक रहने को कहा और कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत विशेषज्ञों की राय लेने व जांच कराने को कहा। वहीं न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि जनवरी 1923 ईस्वी में अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन के गठन की याद लोगों में थायराइड ग्रंथि के महत्व पर जोर देने और इससे संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने व नियमित जांच करने को प्रोत्साहित करने हेतु जनवरी महीने में थायराइड अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है। मुंबई के बीएआरसी टाटा मेमोरियल अस्पताल से प्रशिक्षित तथा जसलोक अस्पताल में सेवा दे चुके डॉ. पंकज ने बताया कि तितली के आकार की थायराइड ग्लैंड सबसे बड़ी इंडोक्राइन ग्लैंड है, जो आयोडीन का उपयोग कर थायराइड हार्मोन (टी-3 और टी-4) बनाकर शरीर के मेटाबोलिस्म को कंट्रोल करती है और जब यही थायराइड जरूरत से अधिक या कम मात्रा में हार्मोन बनाती है तो इसमें विकार आना कहा जाता है।
थायराइड के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के बारे में थायराइड क्लीनिक न्यूक्लियर मेडिसिन, एम्स पटना के इंचार्ज डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि देश में करीब 4.2 करोड़ मरीज हैं, जिसमें 10 में एक व्यस्क को हाईपोथाइराईड की समस्या है, जो महिलाओं में पुरूषों से 3 गुना ज्यादा है और लगभग 45 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को फर्स्ट ट्राईमेस्टर में हाईपोथायराइड की समस्या होती है, जिसके समय रहते जांच व उचित उपचार न होने के कारण व शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है। एक तिहाई मरीज को पता ही नहीं होता है कि उनमें थायराइड विकार है।
इस मौके पर प्रोफेसर डॉ. प्रेम कुमार, प्रो. डॉ. विंदे कुमार, डॉ. संजीव कुमार, प्रो. डॉ. हिमाली सिन्हा, डॉ. जगजीत पांडेय, डॉ. चंदन झा, डॉ. क्रांति भावना, डॉ. भारतेंदु, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. रविकीर्ति, डॉ. नीरज कुमार, डॉ. अजीत, डॉ. अमरजीत समेत विभाग के आरएसओ मनीष कुमार, अरविंद गुप्ता आदि उपस्थित थे।

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