October 28, 2025

अररिया में नदी में डूबकर तीन बच्चियों की दर्दनाक मौत, मिट्टी लाने के दौरान हुआ हादसा, एक को लोगों ने बचाया

अररिया। बिहार के अररिया जिले से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है। जिले के जोकीहाट थाना क्षेत्र के तारण गांव में मंगलवार सुबह बकरा नदी में डूबने से तीन मासूम बच्चियों की मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब ये बच्चियां नदी से मिट्टी लाने गई थीं। सुबह के सन्नाटे में घटी इस त्रासदी ने पूरे इलाके को शोक में डूबो दिया। घटना के बाद गांव में मातम का माहौल है और हर किसी की आंखों में आंसू हैं।
मिट्टी लाने गई थीं चार बच्चियां
स्थानीय लोगों के अनुसार, मंगलवार सुबह करीब तीन बजे तारण गांव की चार बच्चियां बकरा नदी के किनारे मिट्टी निकालने गई थीं। इनकी उम्र 10 से 12 साल के बीच बताई जा रही है। ग्रामीण इलाकों में परंपरा के तहत घर या आंगन की लिपाई-पुताई के लिए मिट्टी लाने का काम अक्सर बच्चे या महिलाएं करती हैं। इसी क्रम में ये बच्चियां भी नदी किनारे गईं।
डूबने से मचा हड़कंप
बताया गया कि जब वे मिट्टी निकाल रही थीं, तभी एक बच्ची अचानक फिसलकर गहरे पानी में चली गई। उसे बचाने के लिए बाकी तीन बच्चियां भी पानी में कूद पड़ीं, लेकिन तेज धारा में वे खुद को संभाल नहीं सकीं और सभी बहने लगीं। इस दौरान पास में मौजूद एक अन्य लड़की ने शोर मचाकर गांव के लोगों को बुलाया। स्थानीय लोग दौड़कर नदी किनारे पहुंचे और बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक तीन बच्चियों की जान जा चुकी थी। केवल एक बच्ची को जीवित बचाया जा सका।
ग्रामीणों की तत्परता और बचाव प्रयास
घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को खबर दी। जोकीहाट थाना की पुलिस और प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची। ग्रामीणों ने स्थानीय नाविकों की मदद से नदी में उतरकर बच्चियों की तलाश शुरू की। काफी प्रयासों के बाद तीनों के शव पानी से निकाले गए। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
पूरे गांव में छाया मातम
तारण गांव में इस दर्दनाक हादसे के बाद शोक की लहर दौड़ गई है। जिन परिवारों ने अपनी बेटियों को खोया, उनके घरों में कोहराम मचा हुआ है। गांव की महिलाओं ने बताया कि ये सभी बच्चियां बहुत होनहार और चंचल थीं। कोई यह नहीं सोच सकता था कि मिट्टी लाने जैसा सामान्य कार्य उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। गांव के लोग अब भी इस घटना के सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच
घटना की सूचना मिलते ही अररिया जिला प्रशासन ने स्थिति का जायजा लिया। अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह हादसा लापरवाही या प्राकृतिक असंतुलन के कारण हुआ प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि इस मामले की गहन जांच की जा रही है और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए आवश्यक सुरक्षा कदम उठाए जाएंगे। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की है।
सुरक्षा उपायों की मांग
ग्रामीणों ने इस घटना के बाद प्रशासन से नदी किनारे सुरक्षा उपायों की मांग की है। लोगों का कहना है कि गांवों में बच्चे अक्सर पानी के किनारे खेलते या मिट्टी लाने जाते हैं, लेकिन वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। न तो चेतावनी बोर्ड लगे हैं और न ही कोई घेराबंदी की गई है। ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि नदी किनारों पर सुरक्षा बाड़, चेतावनी संकेत और निगरानी टीमों की व्यवस्था की जाए।
लगातार बढ़ रही ऐसी घटनाएं
अररिया जिले में यह पहली बार नहीं है जब नदी में डूबने से बच्चों की जान गई हो। बीते कुछ महीनों में भी ऐसे कई हादसे सामने आए हैं, जिनमें मासूमों की जिंदगी दांव पर लग गई। यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा और जागरूकता के स्तर को लेकर अब भी गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।
समाज के लिए चेतावनी
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों को प्राकृतिक स्थलों पर बिना निगरानी के भेजना कितना खतरनाक हो सकता है। माता-पिता और अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें और उन्हें नदी, तालाब या गहरे जलाशयों के पास अकेले जाने से रोकें। अररिया के तारण गांव की यह घटना न केवल तीन परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। मासूम बच्चियों की यह मौत इस बात का प्रमाण है कि छोटी-सी असावधानी कितनी बड़ी त्रासदी में बदल सकती है। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। जब तक ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय और जागरूकता नहीं बढ़ाई जाएगी, तब तक ऐसे दर्दनाक हादसे हमारे बीच सवाल बनकर खड़े रहेंगे।

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