‘रवींद्रनाथ टैगोर के विचार वर्तमान युग में प्रासंगिक’

  • एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर के बुद्धिजीवियों और विचारकों ने रखे विचार

पटना। रविवार को एएन सिन्हा अुनसंधान संस्थान में प्रसिद्ध सामाजिक और साहित्यिक संगठन साल्वेशन द्वारा ‘भारतीय कला और संस्कृति में रबीन्द्रनाथ टैगोर का योगदान’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। जिसमें देश भर के बुद्धिजीवियों और विचारकों ने अपने विचार व्यक्त किए।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. ममता दास शर्मा ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि वर्तमान समय में रवीन्द्रनाथ टैगोर के उदत्त विचारों का महत्व बढ़ गया है। वे शांति और मानवता के प्रबल हिमायती थे। प्रेम और मानवता ही उनका सच्चा धर्म था। जिन्होंने अपनी विचारधारा से देश को निर्माण और विकास की नई राह दिखाई। उन्होंने कहा कि बंगाल के बाहर टैगोर को सबसे पहले बिहार राज्य में सम्मानित किया गया। जब वह अपनी बेटी से मिलने मुजफ्फरपुर पहुंचे तो यहां के लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। वे कई बार बौद्धगया भी आए क्योंकि वे गौतम बुद्ध से बहुत अधिक प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि टैगोर पहली बार मार्च 1936 में शांति निकेतन के गठन के सिलसिले में अपनी टीम के साथ पटना आए और एक मात्र दिन में निर्मित एलिफिस्टन सिनेमा हॉल में अपने प्रसिद्ध नाटक का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से भारतीय सभ्यता और संस्कृति को एक नया आयाम दिया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुएए बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य इम्तियाज अहमद करीमी ने कहा कि टैगोर हमारी विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिस पर पूरे देश को गर्व है। वह साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले एशिया के एकमात्र व्यक्ति थे। उन्होंने पूरे विश्व में भारतीय साहित्य की महानता का जश्न मनाया जो हमारे लिए गर्व का विषय है। टैगोर की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी उनके द्वारा लिखी गई कविता को अपना राष्ट्रगान बनाया था। परिवार के लोग उन्हें बैरिस्टर बनाना चाहते थे लेकिन कानून के अध्ययन को नापसंद करते हुएए उन्होंने साहित्य और संस्कृति को प्राथमिकता दी।
वक्ताओं में प्रो. हामिद अली खान, प्रो. सफदर राम कादरी, डॉ. मुहम्मद मजहर हुसैन, डॉ. मुहम्मद अजमल, डॉ. सागर सरकार, अनुसंधान विद्वान सुभान उस्मानी और डॉ. मुहम्मद मुर्तजा आदि शामिल थे। कार्यक्रम की शुरूआत हाफिज और कारी मुहम्मद हसनैन द्वारा पवित्र कुरान के पाठ के साथ हुई। जबकि याकूब अशरफी ने संचालन किया। स्वागत भाषण में डॉ. मुहम्मद अंजार आम, महासचिव, साल्वेशन ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और संगोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों में प्रो. आफताब आलम, असर फरीदी, शकील सहस्रामी, मुहम्मद नौशाद अंसारी, डॉ. अनवारुल हादी शामिल हैं।

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