समस्तीपुर में आवारा कुत्तों का आतंक, अब तक दो बच्चों की ली जान, इलाके में दहशत

समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा घटना विभूतिपुर प्रखंड के भरपुरा पटपारा पंचायत के वार्ड 13 की है, जहां शनिवार को आवारा कुत्तों के झुंड ने एक चार वर्षीय मासूम पर हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायल बच्चे का इलाज समस्तीपुर सदर अस्पताल में चल रहा है। घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, घायल बच्चे की पहचान संजीत कुमार सिंह के पुत्र अनीश कुमार के रूप में हुई है। संजीत कुमार रोजगार के सिलसिले में बाहर रहते हैं और घटना के वक्त घर पर केवल उसकी मां रिकू देवी थीं। अनीश अपनी मां के साथ घर से बाहर निकला था। मां कुछ दूर आगे बढ़ गई थीं, तभी घर के सामने अचानक कुत्तों के झुंड ने मासूम अनीश पर हमला कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुत्ते बच्चे को घसीटते हुए पास के मक्का के खेत की ओर ले जाने लगे। तभी खेत में काम कर रहे किसानों और अनीश की मां ने बच्चे की चीख-पुकार सुनकर शोर मचाया और किसी तरह कुत्तों को भगाया। गंभीर रूप से घायल अनीश को पहले विभूतिपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे समस्तीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले चार महीनों में इसी तरह की घटनाओं में दो मासूम बच्चों की जान जा चुकी है, लेकिन जिला प्रशासन अब तक सिर्फ मूकदर्शक बना हुआ है। ग्रामीणों में भय का माहौल है और माता-पिता अब बच्चों को घर के बाहर अकेले भेजने से डरने लगे हैं। भरपुरा पटपारा के निवासी सुभाष सिंह ने बताया कि आवारा कुत्तों की संख्या गांव में लगातार बढ़ रही है। “हमने कई बार पंचायत और प्रशासन से शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया,” उन्होंने कहा। मुजफ्फरपुर जैसे पड़ोसी जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं, बावजूद इसके अब तक किसी प्रभावी नियंत्रण योजना को अमल में नहीं लाया गया है। नगर निगम द्वारा चलाए गए पशु पकड़ने के अभियान भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। समस्तीपुर के नागरिकों और विशेषकर ग्रामीण इलाकों के लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए अभियान चलाया जाए। साथ ही पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस तरह की घटनाएं न केवल शासन-प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती हैं, बल्कि आमजन के जीवन और सुरक्षा को भी गहरे संकट में डाल देती हैं।
