तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, जातीय जनगणना का किया स्वागत, दिए कई सुझाव

पटना। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराए जाने के फैसले का स्वागत किया है। यह पत्र 2 मई को लिखा गया जिसमें तेजस्वी यादव ने कई सुझाव और चिंताएं भी जाहिर की हैं। उन्होंने इस निर्णय को सामाजिक न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है लेकिन साथ ही इस विषय पर लंबे समय से हो रही अनदेखी की ओर भी ध्यान दिलाया।
वर्षों की अनदेखी और बिहार का अनुभव
तेजस्वी यादव ने पत्र में उल्लेख किया कि केंद्र सरकार ने सालों तक जातीय जनगणना की मांग को नजरअंदाज किया। हालांकि अब जब इस दिशा में कदम उठाया जा रहा है तो इसे सही दिशा में ले जाने की जिम्मेदारी भी केंद्र की है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ने हाल ही में जाति आधारित सर्वे को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिससे यह साबित हुआ है कि इस तरह की कवायद न केवल संभव है बल्कि बेहद जरूरी भी है। उन्होंने दावा किया कि बिहार का सर्वे यह स्पष्ट करता है कि समाज में बड़ी संख्या में लोग आज भी सामाजिक और आर्थिक रूप से पीछे छूटे हुए हैं।
आंकड़ों के आधार पर नीतियों में बदलाव की मांग
तेजस्वी यादव का मानना है कि जाति आधारित आंकड़े केवल संख्या नहीं बल्कि नीतिगत बदलाव का आधार होने चाहिए। उन्होंने मांग की कि इन आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की समीक्षा की जाए ताकि सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में भागीदारी मिल सके। इसके अलावा सरकारी योजनाओं के वितरण और लाभ की समीक्षा भी जातीय आंकड़ों के अनुसार होनी चाहिए ताकि वंचित वर्गों को वाजिब हक मिल सके।
चुनावी प्रतिनिधित्व और संविधानिक बदलाव का सुझाव
तेजस्वी यादव ने चुनावी राजनीति में भी प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब ओबीसी और ईबीसी जातियों को चुनावी प्रतिनिधित्व देने के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन किया जाए। इसके लिए उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि आवश्यकता होने पर संविधान और कानून में बदलाव करना चाहिए। उनका मानना है कि जब तक वंचित जातियों को सत्ता और नीति-निर्धारण में भागीदारी नहीं मिलेगी, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा।
निजी कंपनियों की जिम्मेदारी पर सवाल
तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि निजी कंपनियां जो सरकार से ज़मीन, बिजली और कर में छूट लेती हैं, उन्हें भी सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन कंपनियों को अपने यहां नौकरियों और नेतृत्व में सामाजिक विविधता को महत्व देना चाहिए। उन्होंने सरकार से अपेक्षा जताई कि केवल सरकारी नौकरियों में ही नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र में भी सामाजिक संतुलन सुनिश्चित किया जाए।
चेतावनी और उम्मीद का संदेश
तेजस्वी यादव ने पत्र के अंत में यह चेतावनी दी कि यदि जातीय जनगणना के आंकड़े केवल फाइलों में कैद होकर रह गए, तो यह अवसर भी बाकी रिपोर्टों की तरह व्यर्थ चला जाएगा। उन्होंने लिखा कि केवल गिनती से काम नहीं चलेगा, लोगों को बराबरी, सम्मान और अवसर भी मिलना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार को भरोसा दिलाया कि बिहार इस अभियान में पूरी तरह साथ देने को तैयार है और यह साबित कर चुका है कि पारदर्शी और निष्पक्ष जातीय सर्वे संभव है। तेजस्वी यादव ने इस कदम को देश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया और प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस पहल की जाए।
